जेल प्रशासन की अनोखी पहल से कैदी को मिला अपनों का प्यार: जिसे मरा समझ किया था अंतिम संस्कार, वह निकला जिंदा

Edited By Ramkesh,Updated: 24 Sep, 2023 05:05 PM

the prisoner got the love of his loved ones due to the unique initiative

कहते हैं कि अपराधों की सजा काटने के लिए अपराधी को सलाखों के पीछे भेजा जाता है और उस सजा को न सिर्फ अपराध करने वाला अपराधी काटता है बल्कि उससे जेल में मिलने आने वाले उसके अपने भी उस सजा के भागीदार बन जाते हैं क्योंकि वो उसे मिलकर दिलासा देते हैं कि...

मेरठ, (आदिल रहमान): कहते हैं कि अपराधों की सजा काटने के लिए अपराधी को सलाखों के पीछे भेजा जाता है और उस सजा को न सिर्फ अपराध करने वाला अपराधी काटता है बल्कि उससे जेल में मिलने आने वाले उसके अपने भी उस सजा के भागीदार बन जाते हैं क्योंकि वो उसे मिलकर दिलासा देते हैं कि उसे जल्द से जल्द सलाखों के पीछे से निकल जाएगा या फिर उसे कैदी को यह समझाया जाता है कि वक्त निकल जाएगा और उसकी सजा पूरी होने के बाद वो अपनों के बीच वापस आ जाएगा।

 कैदी से मुलाकात करने जब उसके अपने जेल में आते हैं तो वह वक्त उसके जख्मों पर मरहम का काम करता है लेकिन कुछ कैदी ऐसे भी हैं जो अपने किए अपराधों की वजह से सलाखों के पीछे तक पहुंचे लेकिन सालों गुजरने के बाद भी उनका अपना उनसे मिलने नहीं आया । जेल प्रशासन ने ऐसे कैदियों को अपनों से मिलने के लिए एक पहल की है जिसमें मेरठ जिला कारागार में एक कैदी ऐसा भी मिला है जिसके परिवारजनों ने उसका अंतिम संस्कार तक कर दिया था और अब जेल प्रशासन की सूचना पर उन्हें पता लगा है कि उनका अपना जिंदा है और वो उससे मिलने आ रहे हैं ।

दरअसल , मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में जेल प्रशासन के द्वारा इस बात का आंकड़ा इकट्ठा किया गया कि कैदियों से उनके अपनों की मुलाकात कब-कब हुई है । इस पूरी जांच में 5 कैदी ऐसे निकल कर आए जिनसे कि उनके अपनों की मुलाकात कम हुई । इन पांचो में एक कैदी ऐसा भी था जबकि जब से जेल के अंदर आया है तब से उसका कोई अपना उससे मिलने नहीं आया । यह कैदी है जीतू किस्पोट्टा जो कि झारखंड के रांची के मांडर थाना क्षेत्र का रहने वाला था । जीतू 5 साल पहले 302 के मामले में मेरठ के चौधरी चरण सिंह जिला कारागार में बंद हुआ और जिस दिन से वह जेल में पहुंचा उसके अपने उससे मिलने नहीं आए । बीते 5 सालों में एक भी मुलाकात ना होने वाले कैदियों का खाका जब जेल प्रशासन के द्वारा इकट्ठा किया जा रहा था । इस दौरान जीतू का रिकॉर्ड जेल प्रशासन के सामने आया तो वो भी चौंक गए । 5 साल में जीतू से एक भी मुलाकात नहीं हुई जिसके बाद जीतू का खाका खंगाला गया तो उसकी पहचान झारखंड के रांची के मांडर थाना क्षेत्र के रहने वाले के रूप में हुई ।

जेल प्रशासन के द्वारा रांची के पुलिस अधिकारियों से संपर्क साधा गया तो उन्होंने जीतू के घरवालों से संपर्क साधकर जीतू के जेल में होने की सूचना उन्हें सुनाई । जिसके बाद जीतू के घर वालों ने जीतू से फोन पर बात की जिसके बाद उनमें खुशी के लहर दौड़ पड़ी क्योंकि वो अपने इस बेटे का अंतिम संस्कार भी कर चुके थे और अब उसका श्राद्ध करने जा रहे थे । बेटे के जिंदा होने की खबर मिलने पर परिजनों में खुशी का माहौल है और जीतू के परिजन झारखंड से मेरठ के लिए रवाना हो चुके हैं ।

वहीं कारागार अधीक्षक शशिकांत मिश्रा का कहना है कि जीतू के परिजनों से संपर्क कर लिया गया है और उनसे जीतू की बात भी करा दी गई है । जीतू के परिजन झारखंड से मेरठ के लिए रवाना हो चुके हैं और वो जैसे ही मेरठ के जिला कारागार पर पहुंचेंगे तो उनसे जीतू की मुलाकात कराई जाएगी । ज़ाहिर तौर पर कहा जाए तो जेल प्रशासन की यह पहल सराहनीय है जिसमें की एक परिवार को उनके उसे पुत्र से मिलाया गया जिसको मरा समझ कर उसका अंतिम संस्कार भी कर चुके थे ।
 

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