Edited By Ajay kumar,Updated: 07 Apr, 2023 07:04 PM

राज्य सरकार ने स्पेशल कम्पोनेंट प्लान (एससीपी) के अन्तर्गत झलकारी बाई कोरी हथकरघा एवं पावरलूम विकास योजना को मंजूरी दे दी। योजना के तहत बुनकर कार्य में लगे अनुसूचित वर्ग के लोगों को सुविधाएं दी जाएंगी। योजना में किसी भी प्रकार के संशोधन के लिए...
लखनऊ: राज्य सरकार ने स्पेशल कम्पोनेंट प्लान (एससीपी) के अन्तर्गत झलकारी बाई कोरी हथकरघा एवं पावरलूम विकास योजना को मंजूरी दे दी। योजना के तहत बुनकर कार्य में लगे अनुसूचित वर्ग के लोगों को सुविधाएं दी जाएंगी। योजना में किसी भी प्रकार के संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया गया है।

योगी कैबिनेट बैठक में लिया गया फैसला
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। झलकारी बाई कोरी हथकरघा एवं पावरलूम विकास योजना पूरे प्रदेश के अनुसूचित जाति के हथकरघा एवं पावरलूम बुनकरों के लिए संचालित की जाएगी, जो हथकरघा एवं पावरलूम क्षेत्र के उत्पादन में निरंतर अपना योगदान देते आ रहे हैं अथवा इस क्षेत्र में आकर अपना स्वयं का स्वरोजगार स्थापित करना चाहते हैं। यह योजना पांच वर्षों के लिए होगी।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में बजट की उपलब्धता के आधार पर लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जाएगा। शासन ने ईद से पहले उप्र. के पावरलूम बुनकरों को बड़ा तोहफा दिया है। बुनकरों को सरकार ने राहत देते हुए बिजली बिल पर फ्लैट रेट की सुविधा देने का निर्णय लिया है। अब बुनकर समाज के लोगों को अपना बिजली बिल का फिक्स रेट देना होगा, जो काफी दिनों से इस समाज की मांग थी। इस योजना के तहत शहरो में पांच किलोवाट कनेक्शन आधे हार्स पावर पर 400 व एक हार्स पावर पर 800 रुपये देना होगा। जबकि, गांव में यह 300 एवं 600 रुपये होगा। योजना का लाभ एक अप्रैल से ही दिया जाना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अटल बिहारी बाजपेयी पावरलूम विद्युत फ्लैट रेट योजना को हरी झंडी दिखायी गई।

बोनस न देने पर नियोक्ता को जेल नहीं
प्राइवेट सेक्टर अब अपने कर्मचारियों को बोनस न दे पाने की स्थिति में नियोक्ता को जेल नहीं होगी। राज्य मंत्रिमंडल की लोकभवन में बुधवार को हुई बैठक में बोनस संदाय अधिनियम 1965 में संशोधन को स्वीकृति दी गई। नए नियम में जुर्माने की राशि को एक हजार से बढ़ाकर दस हजार कर दिया गया है। अभी तक इस अधिनियम में बोनस न देने पर नियोक्ता को छह माह के कारावास का प्रावधान था। हालांकि, अब जुर्माना बढ़ाकर एक हजार से दस हजार रुपये कर दिया गया है।