अस्पताल अपशिष्ट में ‘खतरनाक’ बैक्टीरिया जीन का पता चला, कई दवाओं को चकमा देने की क्षमता

Edited By PTI News Agency,Updated: 20 Jun, 2022 10:13 PM

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अलीगढ़, 20 जून (भाषा) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने, पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद के एक अस्पताल से निकलने वाले सीवेज के पानी से एकत्र किये गए नमूने में, कई तरह की दवाओं को चकमा देने वाले एक ‘खतरनाक’ बैक्टीरिया के जीन के एक...

अलीगढ़, 20 जून (भाषा) अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने, पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद के एक अस्पताल से निकलने वाले सीवेज के पानी से एकत्र किये गए नमूने में, कई तरह की दवाओं को चकमा देने वाले एक ‘खतरनाक’ बैक्टीरिया के जीन के एक नए प्रकार का पता लगाया है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि एमसीआर-5.1 नामक इस जीन पर बैक्टीरिया रोधी दवा कोलिस्टिन का असर नहीं होता और “इससे संकेत मिलता है कि दुनिया के इस हिस्से में बैक्टीरिया जनित एक संक्रमण फैलने की आशंका है।” माइक्रोबियल ड्रग रेजिस्टेंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि “कोलिस्टिन रोधी इस खतरनाक जीन के अस्तित्व को दर्शाने वाली भारत से यह पहली रिपोर्ट है।”
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थित एएमयू की अंतर्विषयक जैवप्रौद्योगिकी इकाई के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि भारत में इस जीन की खोज से देश में स्वास्थ्य प्रबंधन के प्रति संभावित खतरे से निपटने के लिए समय रहते चेतावनी दी जा सकती है।
शोधपत्र के मुख्य लेखक प्रोफेसर असद यू. खान ने कहा, “इस जीन की खोज चिंता का विषय है क्योंकि इससे दुनिया के इस हिस्से में बैक्टीरिया जनित एक संक्रमण फैलने की आशंका है।” खान के अलावा इस शोधपत्र को अबसर तलत और अमीना उस्मानी ने लिखा है। अध्ययन में कहा गया कि कोलिस्टिन का इस्तेमाल ऐसे कई बैक्टीरिया जनित संक्रमण के विरुद्ध किया जाता है जिन पर बहुत सी दवाओं का असर नहीं होता।
शोधपत्र में कहा गया, “कोलिस्टिन रोधी जीन का सामने आना इसलिए बेहद चिंताजनक है क्योंकि इससे अंतिम एंटी बायोटिक दवा की विफलता का संकेत मिलता है।”
अनुसंधानकर्ताओं ने मुर्शिदाबाद के डोमकल सुपर स्पेशलिटी और सब डिविजनल अस्पताल से निकलने वाले सीवेज के पानी के नमूने एकत्र किये थे। पिछले साल 21 मार्च को एकत्र किये गए नमूनों से प्राप्त डीएनए में एमसीआर-5.1 जीन का पता चला।
शोधपत्र में लेखकों ने कहा, ‘‘अस्पताल के वातावरण में एमसीआर का प्रसार बेहद खतरनाक है जो स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों, रोगियों और आगंतुकों को उच्च जोखिम में डालता है । इससे बहु-दवा प्रतिरोधी जीवाणु संक्रमण का प्रकोप हो सकता है।’’
उन्होंने कहा,‘‘रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) के कारण वर्ष 2050 तक प्रति वर्ष एक करोड़ लोगों की अनुमानित मृत्यु दर चौंकाने वाली है और यह भारत जैसे देश के लिए और अधिक खतरनाक हो जाती है, जिसे एएमआर के लिए हॉटस्पॉट में से एक माना जाता है।’’




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