रेल कोच फैक्ट्री के मजदूरों से मिलीं प्रियंका गांधी, कहा- निगमीकरण का फैसला राजनीतिक

Edited By Deepika Rajput,Updated: 27 Aug, 2019 05:18 PM

priyanka met the workers of rail coach factory

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मंगलवार को रायबरेली पहुंचकर रेल कोच फैक्ट्री के मजदूरों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने रेल कोच फैक्ट्री को निजी हाथों में देने के फैसले का विरोध किया और प्रदर्शन कर रहे साथियों के साथ धरना दिया। उन्होंने कहा कि...

रायबरेलीः कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मंगलवार को रायबरेली पहुंचकर रेल कोच फैक्ट्री के मजदूरों से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने रेल कोच फैक्ट्री को निजी हाथों में देने के फैसले का विरोध किया और प्रदर्शन कर रहे साथियों के साथ धरना दिया। उन्होंने कहा कि फैक्ट्री के निगमीकरण का फैसला राजनीतिक है। 
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सोनिया जी ने इस फैक्ट्री को बनाने में किया संघर्ष
प्रियंका ने कहा कि ये प्रोजेक्ट सोनिया गांधी का है। आपको याद होगा कि सोनिया जी ने 2006 में राजनीतिक संघर्ष का सामना किया था। उस समय उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। 2006 में रायबरेली में दोबारा चुनाव हुआ था, जिसमें आप सबने उनका पूरी तरह से समर्थन किया था। आपके उस समर्थन देने से उनकी यह भावना हमेशा रही है कि जब-जब आप संघर्ष का सामना करते हैं वह आपके साथ खड़े रहना चाहती हैं। 2007 में जब इस फैक्ट्री की घोषणा की गई तो उस समय की सरकार ने जमीन देने से साफ इंकार कर दिया। जिसके बाद यहां के किसान भाई-बहनों और जनता के साथ मिलकर सोनिया जी ने इस फैक्ट्री को बनाने में संघर्ष किया।
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निगमीकरण के पीछे सिर्फ राजनीतिक सोच
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह संघर्ष सोनिया जी ने यहां की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए किया। मैं उनकी बेटी हूं, मुझे याद है कि जब यह फैक्ट्रियां बनी तो उन्हें कितनी खुशी हुई थी। उनको इस बात की खुशी थी कि इस फैक्ट्री से रोजगार पैदा होंगे। आज इस फैक्ट्री में 2000 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। जिन किसानों की जमीन इस फैक्ट्री के लिए इस्तेमाल की गई थी सबके परिवारों को रेलवे में एक-एक नौकरी मिली है। जिस-जिस की जमीन गई थी उसको मुआवजा मिला है। आज फैक्ट्री मुनाफे में चल रही है।
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एक कंपनी राज लाना चाहती है बीजेपी
उन्होंने कहा कि अपनी क्षमता से दो गुणा ज्यादा इसका उत्पादन है, लेकिन केंद्र की सरकार बेदर्दी से इसका निगमीकरण करना चाहती है। इसका मतलब यही है कि इस फैक्ट्री के निगमीकरण के बाद यह सरकार के सहयोगी उद्योगपतियों को दी जाएगी। इसके निगमीकरण के पीछे सिर्फ राजनीतिक सोच है। आपको पता होगा देश की अर्थव्यवस्था कितनी दुर्बल है। रोजगार कम हो रहे हैं। इस बीच सरकार को यह बात सूझी है कि जहां रोजगार है वहां भी बंद किया जाए। असलीयत यह है कि बीजेपी एक कंपनी राज लाना चाहती है।  

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