Loksabha Election 2019: एक नजर फूलपुर लोकसभा सीट पर

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 09 May, 2019 02:58 PM

phulpur lok sabha seat

फूलपुर लोकसभा सीट को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है। इलाहाबाद से सटी ये सीट कई मायनों में अहम है। बीजेपी इस सीट पर कभी जीत नहीं पाई थी, लेकिन 2014 के मोदी लहर में सवार होकर केशव प्रसाद मौर्य ने पहली...

फूलपुर लोकसभा सीट को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि के रूप में जाना जाता है। इलाहाबाद से सटी ये सीट कई मायनों में अहम है। बीजेपी इस सीट पर कभी जीत नहीं पाई थी, लेकिन 2014 के मोदी लहर में सवार होकर केशव प्रसाद मौर्य ने पहली बार इस सीट पर कमल खिलाया, लेकिन 3 साल बाद जब केशव सूबे के उपमुख्यमंत्री बने। तब यहां उपचुनाव हुए और 2018 में हुए उपचुनाव में बीजेपी के हाथ से ये सीट दुबारा निकल कर सपा के हाथ में पहुंच गई और नागेंद्र प्रताप पटेल ने कमल को फिर से मुरझा दिया।
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अगर बात करें इस सीट के संसदीय इतिहास की तो इस सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुए और पंडित नेहरू ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत कर देश के पहले प्रधानमंत्री बने। पंडित नेहरू ने इस सीट से 1957 और 1962 का चुनाव भी जीता। 1962 के चुनाव में नेहरू के धुर विरोधी रहे राममनोहर लोहिया यहां से चुनाव लड़े लेकिन नेहरू के आगे हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 1964 में पंडित नेहरू की मौत के बाद हुए उपचुनाव में पंडित नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित यहां से चुनाव जीत कर संसद पहुंची। विजय लक्ष्मी के सामने इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी से जनेश्वर मिश्र चुनाव लड़े लेकिन हार गए।

1969 में विजय लक्ष्मी ने इस सीट से इस्तीफा दे दिया। तब कांग्रेस ने यहां उपचुनाव में केशवदेव मालवीय को मैदान में उतारा, लेकिन सोशलिस्ट पार्टी से उतरे जनेश्वर मिश्र ने केशवदेव को हरादिया और सांसद बने, 1967 के बाद 1971 के आमचुनाव में कांग्रेस ने वीपी सिंह को इस सीट से चुनाव लड़ाया। वीपी सिंह यहां से जीत गए, लेकिन आपात काल के बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस यहां से दुबारा हार गई। भारतीय लोकदल से कमला बहुगुणा सांसद बनी। वहीं 1980 के चुनाव में जेएनपी सोशलिस्ट पार्टी से बीडी सिंह ने कमला बहुगुणा को चुनाव हरा दिया और संसद पहुंचे। 1984 के चुनाव में कांग्रेस के रामपूजन पटेल यहां से दुबारा कांग्रेस का खाता खोला। रामपूजन इसके बाद 1989 में जनता दल में शामिल हो गए और सांसद बने।

1989 और 1991 के चुनाव में रामपूजन जनता दल से ही सांसद रहे, लेकिन 1996 के चुनाव में यहां समाजवादी पार्टी का खाता खुला औऱ जंगबहादुर सिंह पटेल यहां से सांसद बने। 1998 के चुनाव में भी जंगबहादुर ही सांसद बने। 1999 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी बदला..यहां से धर्मराज सिंह पटेल सांसद बने। 2004 के चुनाव में सपा से अतीक अहमद यहां चुनाव जीते। 2009 में बसपा के कपिल मुनी करवरिया सांसद बने और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी का खाता खुला और केशव मौर्य सांसद बने। केशव मौर्य के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद यहां उपचुनाव हुआ। उपचुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त मिली और सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह सांसद बने। लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से केशरी देवी पटेल को प्रत्याशी बनाया है, गठबंधन में सपा के खाते में गई इस सीट पर पंधारी यादव चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस और अपना दल कृष्णा पटेल गुट के बीच हुए समझौते में ये सीट कांग्रेस ने कृष्णा पटेल गुट वाले अपना दल को दिया है। और पंकज निरंजन यहां से उम्मीदवार है।

फूलपुर में आती हैं 5 विधानसभा सीटें :-
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फूलपुर लोकसभा संसदीय सीट में 5 विधानसभा सीटे आती हैं। जिनमें फाफमऊ, सोरांव, फूलपुर, इलाहाबाद पश्चिम और इलाहाबाद उत्तर सीटें शामिल हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में पांच में से चार पर बीजेपी और एक सीट पर बीजेपी की सहयोगी अपना दल ने जीत दर्ज की थी।

जानिए, फूलपुर से कितने मतदाता करेंगे मत का प्रयोग :-
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2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फूलपुर सीट पर कुल 19 लाख 75 हज़ार 219 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 10 लाख 83 हज़ार 213 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8 लाख 91 हज़ार 797 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 209 है।

2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार खुला बीजेपी का खाता:-
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फूलपुर लोकसभा सीट के लिए 2014 में हुए चुनाव में बीजेपी ने पहली बार अपना खाता खोला और केशव प्रसाद मौर्य यहां से सांसद बने। केशव मौर्य ने सपा के धर्मराज सिंह पटेल को चुनाव हराया केशव प्रसाद मौर्य को कुल 5 लाख 3 हज़ार 564 वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे सपा के धर्मराज सिंह पटेल को कुल 1 लाख 95 हज़ार 256 वोट मिले। तीसरे नंबर पर बसपा के कपिल मुनी करवरिया रहे। करवरिया को कुल 1 लाख 63 हज़ार 710 वोट मिले।

2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधान सभा चुनाव में बीजेपी बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई और केशव प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा देकर सूबे के उप मुख्यमंत्री बने और इस सीट पर 2018 में उपचुनाव हुए, लेकिन बीजेपी को यहां मुंह की खानी पड़ी। सपा प्रत्याशी नागेंद्र प्रताप सिंह ने 3,42,922 वोटों से जीत दर्ज की। बीजेपी के कौशलेंद्र पटेल दूसरे नंबर पर रहे। कौशलेंद्र पटेल को 2,83,183 वोट मिले।

2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के कपिल मुनी ने मारी बाजी:-
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2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के कपिल मुनी करवरिया यहां से जीत कर बसपा का खाता खोला। कपिल मुनी ने सपा के श्यामा चरण गुप्ता को चुनाव हराया था। कपिल को कुल 1 लाख 67 हजार 542 वोट मिले, जबकि श्यामा चरण गुप्ता को कुल 1 लाख 52 हज़ार 964 वोट मिले। तीसरे नंबर पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे सोने लाल पटेल रहे। सोने लाल को कुल 76 हज़ार 699 वोट मिले।

2004 के लोकसभा चुनाव में सपा से अतीक अहमद ने लहराया परचम:-
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2004 के लोकसभा चुनाव में सपा से अतीक अहमद यहां से चुनाव जीते। अतीक अहमद को कुल 2 लाख 65 हज़ार 432 वोट मिले। दूसरे नंबर पर बसपा की केसरी देवी पटेल रही। केसरी देवी को कुल 2 लाख 1 हज़ार 85 वोट मिले। वहीं तीसरे नंबर पर बीजेपी के बेनी माधव बिंद रहे। बेनी माधव को कुल 1 लाख 51 हज़ार 509 वोट मिले।

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