Edited By Ajay kumar,Updated: 17 Mar, 2020 12:59 PM
कहते है कि पृथ्वी पर भगवान का दूसरा रूप डॉक्टर है तो इस कार्य को केजीएमयू के डॉक्टर ने कर दिखाया है। केजीएमयू में एक युवक 10 साल से बिस्तर पर था जो कि न तो चल सकता था न हीं पैंरो को हिला डुला सकता था।
लखनऊ: कहते है कि पृथ्वी पर भगवान का दूसरा रूप डॉक्टर है तो इस कार्य को केजीएमयू के डॉक्टर ने कर दिखाया है। केजीएमयू में एक युवक 10 साल से बिस्तर पर था जो कि न तो चल सकता था न हीं पैंरो को हिला डुला सकता था। इस लाचार युवक को डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण कर युवक को फिर से चलने योग्य बना दिया है।
बता दें कि केजीएमयू अस्थि शल्य विभाग के जोड़ प्रत्यारोपण विशेषज्ञ एडिशनल प्रो. डॉ. नरेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि कन्नौज निवासी सुरेंद्र कुमार (55) को 10 साल से एन्काइलोसिंग स्पॉन्डलाइटिस बीमारी थी। मरीज 10 साल से बिस्तर पर था। करवट तक नहीं ले पाता था। उठने, बैठने और चलने तक से लाचार था। परिवारीजन मरीज का बिस्तर पर भोजन, शौच आदि कराते रहे हैं।
डॉ. नरेंद्र ने अपनी टीम के साथ पिछले दिनों ही सुरेंद्र के दोनों कूल्हे और घुटनों का प्रत्यारोण किया है। डॉ. नरेंद्र दो माह पहले ही अमेरिका में आयोजित कार्यशाला में रिप्लेसमेंट सर्जरी के दौरान भारत में अपनाई जाने वाली तकनीक पर व्याख्यान भी देकर लौटे हैं। डॉक्टर का दावा है कि मरीज अब अपने पैरों पर चलने-फिरने के साथ शौच तक जाने लगा है। इस पर युवक ने डॉक्टरों को धन्यवाद दिया है।