Silkyara Tunnel Rescue: सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के राहत बचाव कार्य में देरी से बेचैन हुए परिजन

Edited By Anil Kapoor,Updated: 26 Nov, 2023 02:30 PM

increased restlessness of families of workers trapped in silkyara tunnel

Shravasti News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजनों की बेचैनी उस समय और बढ़ गई जब उन्हें यह जानकारी मिली कि सुरंग की खुदाई का प्रमुख हथियार ऑगर मशीन खराब हो गई और अब सुरंग में...

Shravasti News: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में चार धाम यात्रा मार्ग पर निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के परिजनों की बेचैनी उस समय और बढ़ गई जब उन्हें यह जानकारी मिली कि सुरंग की खुदाई का प्रमुख हथियार ऑगर मशीन खराब हो गई और अब सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर लाने में कुछ ज्यादा समय भी लग सकता है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों में 6 श्रमिक उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले की मोतीपुर कला गांव के रहने हैं और यह सभी थारू जनजाति से ताल्लुक रखते हैं, जिनके परिवार के सदस्यों का भी यह हाल है। वहीं एक अधिकारी ने बताया कि उत्तराखंड सरकार वहां कबड्डी, योगा, ताश व अन्य इनडोर खेलों की व्यवस्था कर मजदूरों का मनोबल बढ़ा रही है। श्रावस्ती के रहने वाले मजदूर सत्यदेव, अंकित, जयप्रकाश, संतोष, राम मिलन और राम सुंदर के परिवारों के लिए एक-एक दिन और रातें मुश्किल से कट रही हैं। सुरंग में फंसे मजदूरों की सकुशल वापसी के लिए गांव के सभी लोग भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। ग्रामीण लगातार टीवी समाचार चैनलों, अखबारों और सोशल मीडिया मंचों पर आ रही ताजा खबरों की जानकारी लेकर चर्चा करते दिख रहे हैं।

'यहां सब ठीक है, बराबर खाना-पीना मिल रहा': दिव्यांश
मिली जानकारी के मुताबिक, सुरंग में फंसे मजदूर सत्यदेव के घर में उसकी पत्नी और असहज बूढ़े माता-पिता को संभालने के लिए सत्यदेव का बेटा अपनी नौवीं कक्षा की पढ़ाई छोड़कर घर वापस आ गया। दिव्यांश ने बताया कि पापा से फोन पर बात हुई तो सबसे पहले उन्होंने कहा, "यहां सब ठीक है, बराबर खाना-पीना मिल रहा है। प्रशासन लगातार संपर्क में है।" उसने बताया कि पापा बोले ''बेटा स्कूल जाते रहना और पढ़ाई जारी रखना।" सुरंग में फंसे गांव के अन्य मजदूर राममिलन की पत्नी रानी का रो-रो कर बुरा हाल है। पति के सुरंग में फंसने की खबर मिलते ही वह बेसुध हो गई थी। राममिलन के बेटा-बेटी मां का ख्याल रख रहे हैं लेकिन पति को याद में वह आपा खो बैठती हैं और बिलखने लगती हैं। मजदूर अंकित की पत्नी आप बीती सुनाते हुए फूट-फूट कर रोने लगती हैं। उसकी मां अपनी पोती को गोद में लेकर आंसुओं को संभाल नहीं पाती। मासूम बेटी जब पापा के बारे में पूछती है तो मां बस यही कहती है पापा जल्दी आएंगे लेकिन कब आएंगे इसका जवाब किसी के पास नहीं है। स्थानीय जिला प्रशासन यहां परिजनों के घर जाकर उन्हें ढांढस बंधा रहा है और उनका मनोबल बढ़ाने के प्रयास में लगा है।

डाइटीशियन की सलाह पर प्रति व्यक्ति करीब 750 ग्राम भोजन भेजा जा रहा: अधिकारी
वहीं श्रावस्ती में तैनात एक अधिकारी अरुण मिश्र राज्य समन्वयक के तौर पर 13 नवंबर से घटनास्थल पर बने हुए हैं। राज्य समन्वयक अरुण मिश्र ने रविवार को उत्तरकाशी से फोन पर एक न्यूज एजेंसी से कहा, ''उत्तराखंड सरकार कबड्डी, योगा, चोर पुलिस खेलने को प्रेरित करने तथा ताश व अन्य इनडोर खेलों की व्यवस्था करके मजदूरों का मनोबल बढ़ा रही है। भीतर खाने पीने की सामग्री लगातार भेजी जा रही है। डाइटीशियन की सलाह पर प्रति व्यक्ति करीब 750 ग्राम भोजन भेजा जा रहा है।'' उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के श्रमिकों के लिए अधिकारियों का एक दल मौके पर भेजा है, जिसमें सचिव स्तर के अधिकारी व कुछ चिकित्सक शामिल हैं। समन्वयक ने बताया, ''प्रदेश के सभी श्रमिकों के परिजनों व सुरंग में फंसे मजदूरों के बीच हम पुल का काम कर रहे हैं। सभी श्रमिक परिवारों के एक-एक सदस्य यहां पहुंचे हुए हैं, जो प्रतिदिन सुरंग में मौजूद अपने परिजन से वॉकी-टॉकी व वीडियो फ्रीक्वेंसी पर बात करते हैं।'' 

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