यूपी के इस गांव में नहीं हो रही कुवारों की शादी, वजह जानकर चौंक जाएंगे आप

Edited By Mamta Yadav,Updated: 11 Jun, 2024 04:12 PM

in this village of up bachelors are not getting married

उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आज भी एक ऐसा गांव है, जो विकास से कोसो दूर है। जहाँ सरकार देश में आजादी का 77वां महोत्सव मना रही तो वहीं इस गांव में आजादी के बाद भी सरकार के नुमाइंदो की नजर नहीं पड़ी और न ही कोई पक्की सड़क इस गांव को जोड़ पाई। अपनी...

Deoria News, (विशाल चौबे): उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में आज भी एक ऐसा गांव है, जो विकास से कोसो दूर है। जहाँ सरकार देश में आजादी का 77वां महोत्सव मना रही तो वहीं इस गांव में आजादी के बाद भी सरकार के नुमाइंदो की नजर नहीं पड़ी और न ही कोई पक्की सड़क इस गांव को जोड़ पाई। अपनी जान जोखिम में डालकर लोग रेलवे लाइन को पार करते हैं। अबतक लगभग 20 से अधिक लोगों की रेल हादसे में मौत हो चुकी है।
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बता दें कि देवरिया जिले के बरहज विधानसभा अंतर्गत ग्राम पंचायत नवापार में आजादी के 77वां वर्ष होने के बाद भी सरकार की योजना इस गांव तक नहीं पहुची है। गांव में जाने के लिए कोई भी रास्ता नहीं, कोई पक्की नाली नहीं, बच्चों की शादी का आयोजन करना है तो बरसात के दिनों में नहीं कर सकते क्योंकि सड़क नहीं है। बेटी की बारात के लिए आस-पास के गांव में व्यवस्था करनी पड़ती है। लोग यहाँ अपनी बेटियों की शादी नहीं करना चाहते। जब हमारी टीम ने इस गांव  का हाल जाना तो इस गांव के लोगों ने अपनी आपबीती सुनाई।
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वहीं गांव के लोगों ने बताया कि इस गांव के सड़क मार्ग से नहीं जुड़ने के कारण युवक-युवतियों की शादी में दिक्कत आती है। आज भी कई ऐसे युवक-युवतियां हैं जिनकी शादी सड़क के अभाव के कारण नहीं हो सकी। कोई भी लड़की पक्ष इस गांव के लड़के से शादी करना नहीं चाहता। लोग पहले ही देखकर भाग जाते हैं। कहते हैं कि जिस गांव में सड़क न हो वहां अपनी बेटी की शादी कैसे करें। बेटा हो या बेटी, उनकी शादी अच्छे परिवार में नहीं हो पाती है।

इस गांव में लगभग दो हजार की आबादी है जहाँ नेता जी केवल चुनाव के दौरान पहुँचते हैं, बड़े सपने दिखा कर वोट लेते है और यहाँ की जनता हर बार नेताओ के बहकावे में उम्मीद लगा कर ठगी जाती हैं। जो लोग इस गांव के बाहर रहते हैं, वो वापस आने के लिए काफी हिम्मत जुटाते है, तब आते हैं और जल्द ही वापस लौट जाते हैं। गांव के बच्चे बारिस के दिनों में अपने स्कूल नहीं जा पाते। गांव में स्कूल नहीं है तो वहीं बरसात के दिनों मे स्कूल जाने के लिए नीचे के कपड़ो को और कापी किताब को सर पर रख कर जाना पड़ता है। कुल मिलाकर बात करें तो आज भी यहाँ के लोग नरकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। यहाँ के लोग विकास को लेकर तरस गए हैं, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधियों ने इस गांव के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया। ग्रामीण आज भी विकास को अपने गांव आने के बाँट जोह रहे हैं।

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