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UP सरकार का बड़ा फैसला: सरकारी डॉक्टरों को अब नहीं मिलेगी प्राइवेट प्रैक्टिस की अनुमति, उल्लंघन पर होगा लाइसेंस रद्द

Edited By Anil Kapoor,Updated: 10 Feb, 2025 05:19 PM

government doctors will no longer be allowed to do private practice

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने अब राजकीय मेडिकल कॉलेजों में नौकरी कर रहे सरकारी डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर कड़ी पाबंदी लगा दी है। सरकार ने ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। अब, सरकारी डॉक्टर अगर घर या किसी...

UP News: उत्तर प्रदेश सरकार ने अब राजकीय मेडिकल कॉलेजों में नौकरी कर रहे सरकारी डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रैक्टिस करने पर कड़ी पाबंदी लगा दी है। सरकार ने ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी शुरू कर दी है। अब, सरकारी डॉक्टर अगर घर या किसी निजी अस्पताल में प्रैक्टिस करते पकड़े गए, तो उनका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और उनसे प्रैक्टिस बंदी का जुर्माना वसूला जाएगा।

निजी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों पर होगी निगरानी
जानकारी के अनुसार, सरकार उन डॉक्टरों की गतिविधियों पर विशेष ध्यान देगी जो मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज के लिए मजबूर करते हैं। जिला कलेक्टर अब इन डॉक्टरों की नियमित निगरानी करेंगे। अगर किसी डॉक्टर को प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा जाता है, तो उनकी प्रैक्टिस को तुरंत बंद कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाएगा।

प्रैक्टिस के समय में बदलाव, मरीजों को मिलेगा फायदा
सरकार के इस कदम का असर अब दिखाई देने लगा है। कई सरकारी और अनुबंधित डॉक्टर अब अपने ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) में पूरा समय दे रहे हैं। इससे मरीजों को समय पर इलाज मिल रहा है और उन्हें इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं पड़ रही है।

कड़ी कार्रवाई के परिणाम
सरकार ने हाल ही में कड़ी कार्रवाई करते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के सह आचार्य न्यूरो सर्जन डॉ. राघवेंद्र गुप्ता को राजकीय मेडिकल कॉलेज झांसी भेज दिया था। बताया जा रहा है कि डॉ. राघवेंद्र लंबे समय से फतेहपुर में एलएलआर अस्पताल के सामने निजी प्रैक्टिस कर रहे थे। अब उनके खिलाफ जांच शुरू हो गई है।

नियमों की कड़ाई से निगरानी
अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में कार्यरत सभी डॉक्टरों से एक शपथ पत्र लिया जा रहा है, जिसमें वे यह वचन देंगे कि वे प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे। इसके अलावा, प्राइवेट प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लगाने के लिए 1983 के नियमों को लागू किया जाएगा। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में सतर्कता समिति का गठन किया जाएगा, जो त्रैमासिक बैठक आयोजित करके डॉक्टरों की शिकायतों की जांच करेगी। यदि कोई डॉक्टर नियम तोड़ेगा, तो उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा और प्रैक्टिस बंदी का जुर्माना भी वसूला जाएगा। इस कड़ी कार्रवाई से सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों के व्यवहार में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।

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