लोकसभा चुनाव 6वां चरणः जातीय गोलबंदी के बीच  आधी सीटों पर सीधी, एक तिहाई में त्रिकोणीय लड़ाई

Edited By Ajay kumar,Updated: 22 May, 2024 08:16 PM

direct fight on half the seats triangular fight on one third

उत्तर प्रदेश में अब जिन 27 सीटों पर अगले दो चरणों में लोकसभा चुनाव होना है उसे पूर्वांचल का रण कहा जा रहा है। यहां जातीय गोलबंदी के बीच आधी सीटों पर सीधी तो एक तिहाई में तिकोनी लड़ाई की तस्वीर उभर रही है।

लखनऊः उत्तर प्रदेश में अब जिन 27 सीटों पर अगले दो चरणों में लोकसभा चुनाव होना है उसे पूर्वांचल का रण कहा जा रहा है। यहां जातीय गोलबंदी के बीच आधी सीटों पर सीधी तो एक तिहाई में तिकोनी लड़ाई की तस्वीर उभर रही है। 2019 के परिणाम के मुताबिक इन 27 सीटों में भाजपा ने 18, अपना दल ने दो यानी एनडीए गठबंधन ने 20 सीटें जीती थी। आजमगढ़ की सीट भाजपा ने उपचुनाव में सपा से छीन ली थी। इस तरह एनडीए के पास वर्तमान में 21 सीटें हैं, जबकि छह सीटें बसपा के पास हैं। वर्ष 2019 के चुनाव में बसपा ने सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। इस बार सपा ने कांग्रेस से गठबंधन किया है, जबकि बसपा अकेले चुनाव मैदान में है। बसपा ने 2019 के चुनाव में जौनपुर, घोसी, श्रावस्ती, गाजीपुर, अंबेडकर नगर तथा लालगंज लोकसभा सीटों पर सफलता पाई थी।

सपा-बसपा-भाजपा के चुनौती 
अंतिम दो चरणों में मतदान वाली 27 लोकसभा सीटों में भाजपा ने 24 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। दो सीटों पर भाजपा का सहयोगी अपना दल (एस) और एक सीट पर ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा का प्रत्याशी मैदान में है। इसके मुकाबले सपा ने 22 सीटों पर उम्मीदवार उतार रखे हैं। चार सीटों पर गठबंधन के तहत कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव लड़ हैं। एक सीट भदोही से टीएमसी का उम्मीदवार मैदान में है। बसपा के प्रत्याशी सभी 27 सीटों पर ताल ठोक रहे हैं। भाजपा के सामने मिशन-80 की कामयाबी के लिए इन 27 सीटों पर क्लीन स्वीप करने की चुनौती है, तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव के सामने आजमगढ़ सीट भाजपा से वापस लेने के साथ अपने पीडीए फॉर्मूले की सफलता सुनिश्चित करनी है। बसपा प्रमुख मायावती को सबसे बड़ी चुनौती अपनी पाटी का सियासी आधार कायम रखना है, तो कांग्रेस को अमेठी और रायबरेली के बाहर अपना वजूद तलाशने की चुनौती से जूझना है।

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चुनावी चक्रव्यूह का छठा द्वार भाजपा पांच सीटें गई थी हार
छठे चरण की अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, लालगंज और जौनपुर सीट साल 2019 के चुनाव में बसपा ने जीती थी तो आजमगढ़ में सपा ने जीत दर्ज की थी, हालांकि अब इस सीट पर उसका कब्जा नहीं है। ऐसे में इस बार भाजपा के लिए इन पांच सीटों पर कमल खिलाने की चुनौती है, जो आसान काम नहीं है। इसकी वजह, पूर्वांचल की ज्यादातर सीटों पर जातीय समीकरणों का मकड़जाल है। यहां आधी से ज्यादा सीटों पर पिछड़ों का प्रभाव है। वही हार जीत तय करते हैं। इसके कारण ही अपना दल, सुभासपा और निषाद पार्टी जैसे छोटे दल पिछड़े वर्ग के मतदाताओं में खास जाति के आक्सीजन पर ही चल रहे हैं। इसी तरह करीब एक तिहाई सीटों पर सवर्ण विशेष रूप से ब्राह्मण और ठाकुर मतदाता प्रभाव रखते हैं। इसे देखते हुए सभी दल अपने आधार वोट बैंक को जातीय वोटों के साथ जोड़कर प्रत्याशी उतारते रहे हैं।

25 मई को 14 सीटों पर पड़ेंगे वोटः
 प्रदेश में छठे चरण में 14 सीटों सुलतानपुर, प्रतापगढ़. फूलपुर, इलाहाबाद, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, डुमरियागंज, बस्ती, संत कबीर नगर, लालगंज, आजमगढ़, जौनपुर, मछलीशहर व भदोही लोकसभा सीट पर 25 मई को बोट डाले जाएंगे। सातवें चरण का मतदान एक जून को 13 लोकसभा सीटो महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, बांसगांव, घोसी, सलेमपुर, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मिर्जापुर व राबर्ट्सगंज में होगा।

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