कृष्णानंद राय मर्डर मामला: गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की अपील पर हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Edited By Anil Kapoor,Updated: 04 Jul, 2024 07:34 PM

decision reserved on criminal appeal of ghazipur mp afzal ansari

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की आपराधिक अपील पर निर्णय गुरुवार को सुरक्षित रख लिया। अंसारी ने गाजीपुर की एक अदालत द्वारा गैंगस्टर कानून के तहत एक मामले में सुनाई गई 4 साल की सजा को चुनौती दी है। अफजाल के...

Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी की आपराधिक अपील पर निर्णय गुरुवार को सुरक्षित रख लिया। अंसारी ने गाजीपुर की एक अदालत द्वारा गैंगस्टर कानून के तहत एक मामले में सुनाई गई 4 साल की सजा को चुनौती दी है। अफजाल के खिलाफ यह मामला, भाजपा सांसद कृष्णानंद राय की 2005 में हत्या के बाद दर्ज किया गया था। मौजूदा आपराधिक अपील के साथ ही यह अदालत इसी मामले में अफजाल की सजा बढ़ाने की राज्य सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष राय की अपील पर भी सुनवाई कर रही है। यह अपील इस मायने में महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि अफजाल की दोषसिद्धि बरकरार रखी जाती है तो उनकी सांसदी चली जाएगी क्योंकि उन्हें 2 साल से अधिक के कारावास की सजा सुनाई गई है।

अफजाल ने 2024 लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर गाजीपुर सीट से जीता है चुनाव
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अफजाल ने 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर गाजीपुर सीट से चुनाव जीता है। गाजीपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने 29 अप्रैल, 2023 को अफजाल को गैंगस्टर कानून के मामले में दोषी करार दिया था और उसे 4 साल की जेल की सजा सुनाई थी और साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। अदालत ने अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को दोषी करार देते हुए उसे 10 वर्ष के जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद, अफजाल सांसद के तौर पर अयोग्य हो गए जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में मौजूदा आपराधिक अपील दायर की।

भविष्य में चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी
बताया जा रहा है कि उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई, 2023 को अफजाल को जमानत दे दी, लेकिन इस मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। इसके परिणाम स्वरूप उनकी सांसदी बहाल नहीं हुई। साथ ही वह भविष्य में चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए क्योंकि उन्हें सुनाई गई सजा दो वर्ष से अधिक की थी। बाद में उच्चतम न्यायालय ने उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा दी जिसके परिणाम स्वरूप उनकी सांसदी बहाल हो गई और वह लोकसभा चुनाव लड़ने के योग्य हो गए। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय में लंबित आपराधिक अपील पर तेजी से सुनवाई करने का निर्देश दिया।

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