Edited By Imran,Updated: 19 Feb, 2022 07:14 PM

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंदिर और मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के संबंध में एक अवमानना याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि इस याचिका को दाखिल करने का समय संकेत देता है कि यह एक प्रायोजित याचिका है, जिसे विधानसभा चुनावों को ध्यान में...
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंदिर और मस्जिद में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के संबंध में एक अवमानना याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि इस याचिका को दाखिल करने का समय संकेत देता है कि यह एक प्रायोजित याचिका है, जिसे विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर प्रदेश का सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के मकसद से दाखिल किया गया है।
अवमानना याचिका में याचिकाकर्ता रामपुर के इस्लामुद्दीन ने अदालत से रामपुर के जिलाधिकारी रबींद्र कुमार मंदर और पुलिस अधीक्षक को कथित तौर पर जानबूझकर इस अदालत के 15 अप्रैल 2015 के आदेश की अवमानना करने के आरोप में दंडित करने का अनुरोध किया था। अदालत ने एक जनहित याचिका पर 15 अप्रैल 2015 को पारित अपने आदेश में रामपुर के जिला प्रशासन और क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि ध्वनि प्रदूषण नियम-2000 में निर्धारित मानक से परे ध्वनि प्रदूषण करने वाले लाउडस्पीकर या किसी अन्य उपकरण का उपयोग न किया जाए। याचिका में लगाए गए आरोपों के मुताबिक, वर्ष 2021 में कुछ लोगों ने मंदिरों और मस्जिदों में लाउडस्पीकर का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिससे ध्वनि प्रदूषण हो रहा है, लिहाजा याचिकाकर्ता ने यह अवमानना याचिका दाखिल की है।
अवमानना याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने 15 फरवरी 2022 के अपने निर्णय में कहा, ‘यह याचिका ऐसे समय में दाखिल की गई है, जब प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौर से गुजर रहा है और ऐसा लगता है कि यह प्रायोजित याचिका है, जिसका उद्देश्य प्रदेश का सांप्रदायिक सौहार्द प्रभावित करना है।'