Edited By Pooja Gill,Updated: 08 Oct, 2024 08:44 AM
Lucknow News: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए सत्ता का दुरूपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने साजिश और षड़यंत्र की सीमाएं पार कर दी है। जनता भाजपा की सत्ता लोलुपता समझ गयी है...
Lucknow News: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा अपने राजनीतिक लाभ के लिए सत्ता का दुरूपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने साजिश और षड़यंत्र की सीमाएं पार कर दी है। जनता भाजपा की सत्ता लोलुपता समझ गयी है। भाजपा ने आम जनता, किसानों, नौजवानों, व्यापारियों, गरीबों के साथ विश्वासघात किया है। 2027 के विधानसभा चुनाव में जनता भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी। जनता भाजपा की कोई साजिश नहीं चलने देगी।
भाजपा का आचरण जनविरोधी हैः अखिलेश
पार्टी दफ्तर में कार्यकर्ताओं एवं नेताओं को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा का आचरण जनविरोधी है। अन्याय, अत्याचार चरम पर है। भाजपा संविधान और लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार कर रही है। लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। भाजपा सरकार में जन समस्याएं बढ़ती जा रही है। जनसमस्याओं का कोई समाधान नहीं हुआ।
महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार चरम पर हैः अखिलेश
अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार में झूठ और लूट का बोलबाला है। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार चरम पर है। गरीबों की कोई सुनवाई नहीं है। गरीब न्याय के लिए भटक रहा है। उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा कि वे संगठन को और मजबूत करने में जुट जाएं। संगठन बूथ स्तर पर मजबूत होना चाहिए। बूथ लेवल पर एजेंट बनाएं। किसान, नौजवान समेत सभी वर्गों की समस्याएं उठाएं। गरीबों और पीड़ितों को न्याय दिलाने में मदद करें। प्रदेश ही नहीं, देश की जनता भी समाजवादियों की तरफ बड़ी उम्मीदों से देख रही है।
यह भी पढ़ेंः राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह ‘धर्मसम्मत मान्य': CM योगी
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह “धर्मसम्मत मान्य” है। उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म किसी का अंत नहीं चाहता, वह 'अहिंसा परमो धर्मः' की बात कहता है, लेकिन वह यह भी कहता है कि अहिंसा परम धर्म है, लेकिन राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह धर्मसम्मत मान्य है। यह आह्वान भारत का शास्त्र करता है।”