दलितों के बाल काटने से सलमानी समुदाय के नाईयों ने किया इनकार, पीड़ितों ने SSP से लगाई गुहार

Edited By Ajay kumar,Updated: 16 Jul, 2019 02:50 PM

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मनुष्य भले ही चांद पर पहुंच गया हो लेकिन लोग अभी भी छुआछूत की बीमार मानसिकता को छोडऩे के लिए तैयार नहीं हैं। छुआछूत का ताजा मामला मुरादाबाद के थाना भोजपुर इलाके का है।

मुरादाबाद: मनुष्य भले ही चांद पर पहुंच गया हो लेकिन लोग अभी भी छुआछूत की बीमार मानसिकता को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। छुआछूत का ताजा मामला मुरादाबाद के थाना भोजपुर इलाके का है। जहां सलमानी नाई समाज के लाेग अपनी दुकानों में दलित (बाल्मीकि) समाज के लोगों का बाल काटने और शेव बनाने को तैयार नहीं हैं। दलितों ने ये शिकायत मुरादाबाद के एसएसपी से की तो उन्होंने तुरंत पुलिस और प्रशासन की संयुक्त टीम बना दी। साथ ही कहा कि अगर आरोप सही हैं तो कार्यवाही होगी। 

मामला मुरादाबाद के थाना भोजपुर के पीपलसाना का है। यहां के दलित (बाल्मीकि) एसएसपी मुरादाबाद के पास शिकायत लेकर पहुंचे की भेदभाव के चलते उनके गांव की नाई की दुकानों पर उनके बाल नहीं काटे जाते। मामले को गंभीरता से लेते हुए एसएसपी ने डीएम से वार्ता कर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की टीम बनाकर जांच के आदेश दिए। दलितों द्वारा पुलिस में की गयी शिकायत के बाद सभी सलमानी नाई की दुकानें बंद कर दी गईं। नाईयों के मुताबिक हम किसी भी कीमत पर इन लोगों के बाल नहीं काटेंगे क्योंकि हमारे सामने कभी इनके बाल गांव की दुकानों पर कटते नहीं देखे। यदि हमने इनके बाल काटे तो हमारी बिरादरी के लोग ही हमारी दुकान पर नहीं आएंगे। इसके अलावा कुछ लोग आक्रामक तेवर में भी दिखे और गलत शब्द भी प्रयोग किये गए।
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दलित जहां से बाल कटाते आये हैं वहीं से कटवाएं: नाई समाज
पीपालसाना इलाके के नाई (सकलैनी) समाज के अलावा अन्य मुस्लिम लोग भी दलितों के बाल काटे जाने का विरोध करते दिखाई दिए। दुकानों के बन्द का समर्थन करते हुए ये लोग कह रहे हैं कि दलित लोग अब तक जहां से बाल कटाते आये हैं वहीं से कटवाएं। सभी मुस्लिम अपनी अपनी बातें कहते हुए नाई समाज का ही समर्थन करते दिख रहे थे। 
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नया काम नहीं होना चाहिए: प्रधान पति
गांव की प्रधान मुस्लिम हैं। उनके पति प्रतिनिधि गुलाम गॉस का कहना है कि हमारे यहां का माहौल बहुत बढिय़ा है लेकिन नया काम नहीं होना चाहिए। जैसा पहले से होता रहा है वैसे ही होना चाहिए। किसी भी हालत में माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा जबकि कुछ लोग ऐसा ही चाहते हैं।
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और लोगों की तरह हमारे भी बाल कटने चाहिए: दलित युवक
दूसरी ओर उसी गांव में कुछ ही दूरी पर रह रहे दलित (बाल्मीकि) समाज के बुजुर्ग कल्लन का कहना था कि हमारी तो कट गई लेकिन अब छुआछूत खत्म होनी चाहिए और गांव की दुकानों पर ही और लोगों की तरह हमारे भी बाल कटने चाहिए। हमारे बच्चों की शादी नहीं हो पा रही है। रिश्तेदारी में बात खराब हो गयी है। हमारे बच्चों के नाम पूछकर बिना बाल काटे दुकान से वापस भेज दिया जाता है। दलितों का कहना है कि बच्चे पढ़ लिख गए हैं, जमाना बदल गया है, लिहाजा इस पुरानी छुआछूत की बीमारी से बाहर निकल कर जीवन जीना चाहिए। गांव में किसी तरह का कोई भेदभाव नही है, सब प्रेम से रहते हैं। इसी बात को लेकर हम बिरादरी के लोग पुलिस अशिकारी से मिले थे उन्होंने हमें पूरा आश्वासन भी दिया है।

छुआछूत का ये मामला भले ही पुलिस के पास पहुंच गया है लेकिन दोनों ही पक्ष अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं। अब पुलिस कप्तान और जिलाधिकारी द्वारा बनाई गई टीम क्या रिपोर्ट देती है और क्या कार्रवाई करती है बाद में पता चलेगा। ये खबर उन लोगों के भी मुंह पर तमाचा है जो कहते हैं कि जाति खत्म हो चुकी है। 

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