Ayodhya News: राम की नगरी में 14 कोसी परिक्रमा आज शाम से होगी शुरु, शहर में बाहरी वाहनों की इंट्री बैन

Edited By Mamta Yadav,Updated: 09 Nov, 2024 02:33 AM

ayodhya news 14 kosi parikrama will start in ram s city from this evening

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर में विराजमान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 24 घंटे चलने वाली पहली चौदह कोसी परिक्रमा मेला आज शाम छह बजे से शुरू होगी।

Ayodhya News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर में विराजमान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 24 घंटे चलने वाली पहली चौदह कोसी परिक्रमा मेला आज शाम छह बजे से शुरू होगी। जिलाधिकारी चन्द्रविजय सिंह ने शुक्रवार को बताया कि चौदह कोसी परिक्रमा मेले की तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। कल नौ नवम्बर को सायंकाल छह बजकर 32 मिनट से परिक्रमा शुरू होगी। विगत देर रात्रि में चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग का निरीक्षण किया गया। अफीम कोठी के पास चल रहे नाले के निर्माण कार्य को देखते हुए उसे शीघ्र पूर्ण कर परिक्रमा मार्ग को बेहतर करने का निर्देश भी दिया गया। उन्होंने बताया कि वहां पर विद्युत तार भी काफी नीचे लटक रहे हैं जिसको सही करने के निर्देश दिये गये। परिक्रमा मार्ग के अफीम कोठी से बहादुरगंज आते हुए उन्होंने पाया कि रास्ते पर कूड़े का ढेर लगा है, जिसको तत्काल साफ करने का निर्देश दिया गया। बहादुरगंज के पास बेरिकेटिंग व मार्ग पर बालू डालने, रास्ते में ढीले तारों व विद्युत तारों को ठीक करने व विद्युत पोलों को कवर करने के भी निर्देश दिये गये।
PunjabKesari
सिंह ने राजघाट के पास रास्ते में कीचड़ को देखते हुए नाराजगी व्यक्त की और कहा कि इसको शीघ्र बैरीकेडिंग व बालू डालकर श्रद्धालुओं के लिए आवागमन को सुगम बनाया जाय। उन्होंने बताया कि झुनकी घाट के पास चल रहे निर्माण कार्य को तेजी से करने और मिट्टी डालकर समतल किये जाने के निर्देश भी दिये हैं। परिक्रमा मार्ग के दीनबंधु चिकित्सालय के पास चल रहे निर्माण कार्य को भी शीघ्र पूर्ण करते हुए मार्ग पर बालू व गिट्टी डालने के निर्देश दिये। काशीराम कालोनी के पास बैरीकेडिंग व मार्ग पर समय-समय पर पानी का छिडक़ाव करने जिससे धूल न उठे तथा सम्पूर्ण मार्ग पर प्रकाश की व्यवस्था, मोबाइल टायलेट, चिकित्सा कैम्प आदि को पूर्ण करने का भी सख्त निर्देश दिया है।

उन्होंने बताया कि पूरे परिक्रमा मार्ग में बैरीकेडिंग किया गया है, खोया पाया कैम्प भी लगाया गया है। नये घाट पर श्रद्धालु स्नान करने के बाद चौदह कोसी परिक्रमा यहीं से उठाते हैं उस जगह पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था भी की गयी है। महिलाओं के स्नान करने के बाद कपड़ा बदलने के लिये टीन शेड भी लगाया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजकरण नैय्यर ने बताया कि पूरे चौदह कोसी परिक्रमा मार्ग में भी सीसीटीवी कैमरे का भी प्रयोग किया गया है। सुरक्षा के कड़े प्रबंध भी किये गये हैं। जिला प्रशासन एक ही स्थान से पूरे मेले का जायजा ले सकता है। बड़े वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। मेले को सकुशल सम्पन्न कराने के लिये मजिस्ट्रेटों की तैनाती पूरे मेला क्षेत्र में किया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

जिलाधिकारी ने बताया कि खोया-पाया कैम्प भी लगाया गया है। जगह-जगह पर मेला में खाने-पीने के सामानों का ध्यान दिया जा रहा है और स्वास्थ्य विभाग का भी कैम्प लगा हुआ है। मान्यताओं के मुताबिक बड़ा परिक्रमा अर्थात् 14 कोसी परिक्रमा का सीधा सम्बन्ध मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से है। किवदंतियों के अनुसार भगवान श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास से अपने को जोड़ते हुए अयोध्यावासियों ने प्रत्येक वर्ष के लिये एक कोस परिक्रमा की होगी। इस प्रकार चौदह वर्ष के लिये चौदह कोस परिक्रमा पूरा किया, तभी से यह परम्परा बन गयी और उस परम्परा का निर्वाह करते हुए आज भी कार्तिक माह की अमावस्या अर्थात् दीपावली के नौवें दिन श्रद्धालु यहां आकर करीब 42 किमी अर्थात् चौदह कोस की परिक्रमा एक निर्धारित मार्ग पर अयोध्या व फैजाबाद नगर तक चौतरफा पैदल नंगे पांव चलकर अपनी-अपनी परिक्रमा पूरी करते हैं।

कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को शुरू होने वाले इस परिक्रमा में ज्यादातर श्रद्धालु ग्रामीण अंचलों से आते हैं। यह एक दो दिन पूर्व ही यहां आकर अपने परिजनों व साथियों के साथ विभिन्न मंदिरों में आकर शरण लेते हैं और परिक्रमा के एक दिन निश्चित समय पर सरयू स्नान कर अपनी परिक्रमा शुरू कर देते हैं जो उसी स्थान पर पुन: पहुंचने पर समाप्त होती है। परिक्रमा में ज्यादातर लोग लगातार चलकर अपनी परिक्रमा पूरा करना चाहते हैं क्योंकि रुक जाने पर मांसपेशियों में खिंचाव आ जाने से थकान का अनुभव जल्दी होने लगता है। यद्यपि श्रद्धालुओं में न रुकने की चाह रहती है फिर भी लम्बी दूरी की वजह से रुकना तो पड़ता है। विश्राम के लिये रुकने वालों में ज्यादातर वृद्ध या अधेड़ उम्र के लोग रहते हैं। इनके विश्राम के लिये जिला प्रशासन के अलावा तमाम समाजसेवी संस्थायें आगे आकर जगह-जगह विश्रामालय, नि:शुल्क प्रारम्भिक चिकित्सा केन्द्र व जलपान गृहों का इंतजाम करती है। श्रद्धालु औसतन अपनी-अपनी परिक्रमा करीब छह-सात घंटे में पूरी कर लेते हैं। जिलाधिकारी के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा मेला नौ नवम्बर दिन शनिवार को सायंकाल छह बजकर बत्तीस मिनट से सरयू स्नान से शुरू होगा जो दस नवम्बर को चार बजकर पैंतालिस मिनट तक परिक्रमा सम्पन्न होगी।

 

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!