Edited By Ramkesh,Updated: 31 Dec, 2024 05:59 PM
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार को लेकर एक्शन मोड़ में रहती है उसके बावजूद भी भ्रष्ट अधिकारी सरकार की लुटिया डुबाने में लगे रहे हैं। ऐसा ही ताजा मामला शामली जिले से सामने आया है। जहां पर ड्रग इंस्पेक्टर निधि पांडेय ने मेडिकल स्टोर के...
शामली: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही भ्रष्टाचार को लेकर एक्शन मोड़ में रहती है उसके बावजूद भी भ्रष्ट अधिकारी सरकार की लुटिया डुबाने में लगे रहे हैं। ऐसा ही ताजा मामला शामली जिले से सामने आया है। जहां पर ड्रग इंस्पेक्टर निधि पांडेय ने मेडिकल स्टोर के खिलाफ जांच अभियान शुरू किया। इस दौरान एक मेडिकल संचालक के यहां उन्हें कुछ कमियां मिली। इसे बाद संचालक ने हाथ जोड़ कर माफी मांगी क्लीन चिट देने के लिए 20 हजार रिश्वत देने की पेशकश की लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर निधि पांडे ने 50 हजार से कम लेने को तैयार नहीं थी इस दौरान उन्होंने कहा कि क्या बनिया की दुकान बना रहा रखा, कभी 30 हजार देने की बात कर रहा है कभी 20 हजार, मोल भाव करेगा। मैं 50 हजार लूंगी नहीं तो कार्रवाई करूगी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। हालांकि वायर वीडियो के बाद निधि पांडे को सस्पेंड कर दिया गया है। साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है।
शामली की ड्रग्स इंस्पेक्टर निलंबित
हालांकि वायरल वीडियों के ड्रग्स इंस्पेक्टर निधि पांडेय को शासन द्वारा तत्काल प्रभाव से निलंबित कर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है। हाल ही में पाण्डेय की वीडियो सामने आई थी, जिसमें वह बिना किसी खौफ के एक केमिस्ट से पैसे मांगती नजर आ रही थी। इसके बाद कुछ अन्य वीडियो भी सामने आई। उनके खिलाफ कैमिस्ट संगठनों द्वारा पिछले काफी समय से शिकायत की जा रही थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही थी।
विभागीय जांच के आदेश भी जारी
पाण्डेय के निलंबन के संबंध में प्रमुख सचिव पी. गुरूप्रसाद द्वारा आदेश जारी किए गए हैं। आदेशों के प्रथम दृष्टया रिश्वत हेतु मोलभाव करने, दवा व्यापारी को धमकाने, प्रताड़ित करने एवं अवैध रूप से औषधि व्यापार संचालित कराने में निधि पांडेय की भूमिका परिलक्षित हो रही है, जो गंभीर कदाचार है तथा भ्रष्टाचार के विरूद्ध सरकार की शून्य सहिष्णुता की नीति का स्पष्ट उल्लंघन है। पांडेय को उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक नियमावली 1999 के नियम- 4 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनके विरूद्ध उक्त नियमावली के नियम-7 के अंतर्गत विभागीय अनुशासनिक कार्रवाई संस्थित करते हुए आरोपों की जांच के लिए सहायक आयुक्त (औषधि), मुरादाबाद मण्डल को जांच अधिकारी नामित किया गया है।