रास नहीं आया अखिलेश को महागठबंधन, बाप-बेटे के सिवाय यादव परिवार नहीं बचा सका कोई सीट

Edited By Ruby,Updated: 24 May, 2019 10:24 AM

akhilesh s grand alliance did not come

लखनऊः अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के गठबधंन को भले ही उप्र में भाजपा की भारी जीत के कारण मनमुताबिक परिणाम नहीं मिले हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष को उनके एकजुटता के प्रयासों के लिए पूरे नंबर मिलेंगे। यादव परिवार में सिर्फ अखिलेश यादव और...

लखनऊः अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती के गठबधंन को भले ही उप्र में भाजपा की भारी जीत के कारण मनमुताबिक परिणाम नहीं मिले हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष को उनके एकजुटता के प्रयासों के लिए पूरे नंबर मिलेंगे। यादव परिवार में सिर्फ अखिलेश यादव और पिता मुलायम सिंह यादव ही अपनी सीट बचा पाए हैं। इसके अलावा अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव, धर्मेद्र यादव, अक्षय यादव हार गए हैं। वहीं बीजेपी का मुकाबला करने के लिए बनाए गए सपा-बसपा गठबंधन के खातिर यादव ने अपना अंहकार एक किनारे रखा और भतीजा-बुआ (मायावती) मिलकर मैदान में उतरे। इसमें उनकी पत्नी डिंपल ने भी मदद की जब उन्होंने वरिष्ठ नेता मायावती के भीड़ भरी जनसभा में सबके सामने पैर छुए।

यह है परिवार की स्थिति
मुलायम सिंह यादव:
 सपा सरंक्षक प्रमुख मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनाव लड़े। वो 94389 वोटों से जीते। उनका मुकाबला बीजेपी के प्रेम सिंह शाक्य से था।

अखिलेश यादव: सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आजमगढ़ से चुनाव लड़ा। अखिलेश 259874 वोटों से जीते। उनके सामने बीजेपी के दिनेश लाल यादव निरहुआ थे।

डिंपल यादव: अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव ने कन्नौज से चुनाव लड़ा। वो बीजेपी के सुब्रत पाठक से 12353 वोट से हार गईं।

अक्षय यादव: रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव फिरोजाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं। वो बीजेपी उम्मीदवार डॉ. चंद्रसेन यादव से 28781 वोट से हार गए।

धर्मेंद्र यादव: मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव ने बदायूं से चुनाव लड़ा। वो बीजेपी की संघमित्रा मौर्य से 18454 वोटों से हार गए।

शिवपाल यादव: प्रगति समाजवादी पार्टी (लोहिया) के नेता और मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल यादव ने फिरोजाबाद से चुनाव लड़ा और वो इस सीट हार गए। इस सीट पर उनके सामने उनके भतीजे अक्षय यादव भी हैं।

वहीं जब पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि वह बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती का प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी के रूप में समर्थन करेंगे इस पर उन्होंने गोल मोल जवाब देते हुए कहा कि सभी विकल्प पूरी तरह से खुले हुए हैं। अखिलेश ने बड़ा दिल दिखाते हुए गठबंधन के एक अन्य सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल को अपने समाजवादी पार्टी के कोटे से एक और सीट दे दी। सपा और बसपा के बीच मुलायम सिंह यादव के पार्टी प्रमुख होने के दौरान पैदा हुई खटास को दूर करने का काम अखिलेश ने किया ताकि भाजपा को चुनाव के मैदान में मात दी जा सके। 1995 में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ के एक गेस्ट हाउस में बसपा प्रमुख के साथ दुर्व्यवहार किया था।

अखिलेश यादव ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से हाथ मिलाया था, तब इन दोनों को 'यूपी के लड़के' के नाम से पुकारा गया था, लेकिन इस गठबंधन ने काम नहीं किया और प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों से उप्र में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी। 2012 में अपने पिता मुलायम सिंह यादव की मदद से अखिलेश 38 की साल की उम्र में उप्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने। शुरुआती दिनों में उन्होंने अपने पिता की विरासत तो संभाली ही साथ ही डीपी यादव, अमर सिंह और आजम खान जैसे घाघ राजनीतिज्ञों को भी बखूबी संभाला। अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी में माफिया डान मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल को उनकी मर्जी के बिना पार्टी में शामिल किया। इस समय उनके दूसरे चाचा राम गोपाल यादव उनके पीछे चट्टान की मानिंद खड़े रहे।

 

 

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