Edited By Purnima Singh,Updated: 06 Feb, 2025 12:36 PM
![after the mahakumbh stampede relatives are in search of their loved ones](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2025_2image_12_36_009685588untitled-345-ll.jpg)
प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के मौके पर मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 60 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटना के एक सप्ताह बाद भी कई लोग अपनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। उनकी आंखें अपनों को ढ़ूंढ रही हैं। यह वह लोग...
लखनऊ : प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के मौके पर मची भगदड़ में 30 लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 60 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटना के एक सप्ताह बाद भी कई लोग अपनों की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। उनकी आंखें अपनों को ढ़ूंढ रही हैं। यह वह लोग हैं जिनका नाम ना तो घायलों की लिस्ट में है और ना ही मरने वालों की लिस्ट में है। यहां तक की लावारिस लाशों में भी इनका अता पता नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर 29 जनवरी को हुए हादसे के बाद से ये लोग कहां गए? लापता लोगों की सूचना देने के लिए घर वालों ने नंबर और उचित इनाम का भी ऐलान किया है।
मध्य प्रदेश जिले के सागर निवासी अशोक पटेल अपने लापता पिता तेजई पटेल की तलाश में पोस्टर लगाकर दर-दर भटक रहे हैं। लापता पिता की तलाश कर रहा बेटा मीडिया से बातचीत के दौरान आपबीती बताते हुए फफक कर रो पड़ा। अशोक के मुताबिक पिता के साथ आए उसके गांव के लोग सकुशल घर पहुंच गए लेकिन तेजई पटेल का अभी तक कोई अता पता नहीं है। अशोक का कहना है कि कोई बता ही नहीं रहा, आखिर हम कहां जाएं? कहां तलाश करें? अपनी बताते हुए अशोक रो-पड़ा और कहने लगा पिताजी तो नहाने आए थे, लेकिन हमें क्या पता था कि वो अब नहीं लौटेंगे। पिता की दी हुई आखिरी निशानी सोने का लॉकेट दिखाते हुए अशोक कहते हैं कि महाकुंभ आते वक्त कह रहे थे कि यह पहन लो... हमें क्या पता था अब वह लौट के नहीं आएंगे।
अशोक के अलावा नजाने कितने ही लोग अपने परिजनों को तलाशने के लिए यहां-वहां भटक रहे हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर निवासी नारायण सिंह अपनी बहू हुकुम बाई का मृत्यु प्रमाण पत्र लेने आए थे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि 29 जनवरी को ही बहू का शव दे दिया गया था, लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला था। अब दोबारा छतरपुर से वह मृत्यु प्रमाण पत्र लेने आए हैं।