Edited By Imran,Updated: 04 Feb, 2023 02:08 PM

प्रदेश की राजनीति में फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्य नायक की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। सूबे में रामचरित मानस और 'शूद्र' नामक लगी आग को मौर्य शांत होने का मौका नहीं दे रहे हैं। उनका हर एक ट्वीट प्रदेश में राजनीतिक चर्चा का विषय बनता जा रहा है। बता दें...
लखनऊ: प्रदेश की राजनीति में फिलहाल स्वामी प्रसाद मौर्य नायक की भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं। सूबे में रामचरित मानस और 'शूद्र' नामक लगी आग को मौर्य शांत होने का मौका नहीं दे रहे हैं। उनका हर एक ट्वीट प्रदेश में राजनीतिक चर्चा का विषय बनता जा रहा है। बता दें कि शनिवार को उन्होंने एक ट्वीट किया है, जिससे सियासी हलचल और बढ़ गई है।
मौर्य ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'कदम-कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉ. अम्बेडकर ने कहा था कि 'मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ यह मेरे बस में नहीं था, किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।' फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षाभूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया, वह भी भारतीय संविधान लागू होने के बाद।'

सपा नेता ने आगे लिखा कि 'तत्कालीन उपप्रधानमंत्री, बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मुख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोया जाना एवं तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद जी को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या? ये सभी देश के बड़े नेताओं के साथ अपमान की घटनायें घटित हुईं तो गाँव-गाँव में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो के साथ क्या होता होगा?'
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