Edited By Pooja Gill,Updated: 15 Oct, 2024 09:58 AM
Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि लंबे समय से पारस्परिक सहमति से हुआ व्यभिचार जिसमें प्रारंभ से धोखाधड़ी का कोई तत्व मौजूद नहीं हो, दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने शादी का वादा करने के बहाने एक महिला...
Prayagraj News: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि लंबे समय से पारस्परिक सहमति से हुआ व्यभिचार जिसमें प्रारंभ से धोखाधड़ी का कोई तत्व मौजूद नहीं हो, दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता। अदालत ने शादी का वादा करने के बहाने एक महिला से दुष्कर्म करने के आरोपी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि जब तक यह साबित ना हो कि प्रारंभ से ही ऐसा झूठा वादा किया गया था, तब तक शादी का वादा करके सहमति से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं की श्रेणी में नहीं आता।
जानिए पूरा मामला
अदालत ने कहा, ‘‘जब तक यह आरोप ना हो कि ऐसे संबंध की शुरुआत से आरोपी की तरफ से ऐसा वादा करते समय उसमें धोखाधड़ी के कुछ तत्व मौजूद हों, तो इसे शादी का झूठा वादा नहीं माना जाएगा।'' दरअसल, श्रेय गुप्ता नामक व्यक्ति द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता ने मुरादाबाद की अदालत में लंबित आपराधिक मुकदमे को रद्द कर दिया। याचिकाकर्ता के खिलाफ एक महिला की शिकायत पर दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था। मुरादाबाद में महिला थाने में दर्ज प्राथमिकी में महिला ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता ने उसके पति की मृत्यु के बाद शादी का बहाना कर उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए थे। महिला का दावा था कि गुप्ता ने कई बार शादी करने का वादा किया, लेकिन बाद में वादा तोड़ दिया और एक अन्य महिला के संपर्क में आ गया।
शिकायतकर्ता महिला ने यह आरोप
शिकायतकर्ता महिला ने यह आरोप भी लगाया कि गुप्ता ने यौन संबंध का वीडियो जारी नहीं करने के लिए उससे 50 लाख रुपये की मांग की थी। महिला की शिकायत पर निचली अदालत ने नौ अगस्त, 2018 को दाखिल आरोप पत्र को संज्ञान में लिया। हालांकि, आरोपी ने आरोप पत्र और पूरे आपराधिक मुकदमे को रद्द करने का अनुरोध करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया। तथ्यों पर गौर करने के बाद अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता महिला और आरोपी व्यक्ति के बीच करीब 12-13 साल शारीरिक संबंध कायम रहा और यह संबंध उस समय से है जब महिला का पति जीवित था। अदालत ने पाया कि शिकायतकर्ता महिला ने अपनी उम्र से काफी छोटे व्यक्ति जो उसके पति की कंपनी में कर्मचारी था, पर अनुचित प्रभाव जमाया। नईम अहमद बनाम हरियाणा सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय ने दोहराया कि शादी के हर वादे को तोड़ने को झूठा वादा मानना और दुष्कर्म के अपराध के लिए एक व्यक्ति पर मुकदमा चलाना मूर्खता होगी।