विरोध प्रदर्शन के बाद बैकफुट पर आया प्रशासन, डोम समुदाय को अंत्येष्टि का कार्य फिर से सौंपा

Edited By Ramkesh,Updated: 16 Sep, 2024 08:29 PM

administration came on back foot after protest again assigned the work

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में जिला पंचायत प्रशासन ने स्थानीय डोम और धरिकार समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बाद एक निजी संस्था को दिया गया भोगांव शवदाह गृह के प्रबंधन का ठेका निरस्त कर दिया। डोम और धरिकार समुदाय परम्परागत रूप से अंत्येष्टि के...

मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में जिला पंचायत प्रशासन ने स्थानीय डोम और धरिकार समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बाद एक निजी संस्था को दिया गया भोगांव शवदाह गृह के प्रबंधन का ठेका निरस्त कर दिया। डोम और धरिकार समुदाय परम्परागत रूप से अंत्येष्टि के कार्यों से जुड़े होते हैं और वे अपनी रोजी-रोटी के लिये लोगों के दाह संस्कार की रस्मों पर निर्भर करते हैं।

जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक, कोन विकास खंड के भोगांव गांव में गंगा नदी के किनारे स्थित श्मशान घाट का निर्माण केन्द्र सरकार की एक योजना के तहत कराया गया था। इसी साल 15 मार्च को इसका प्रबंधन एक निजी संस्था को दे दिया गया था जो अंत्येष्टि के लिये लाये जाने वाले हर शव के दाह संस्कार के लिये निर्धारित दर पर शुल्क वसूल रही थी। हालांकि डोम और धरिकार समुदायों ने जिला प्रशासन द्वारा श्मशान का प्रबंधन निजी संस्था को दिये जाने का यह कहते हुए विरोध किया कि इससे उनकी रोजी-रोटी पर बुरा असर पड़ेगा।

जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी सुरेन्द्र कुमार वर्मा द्वारा पिछली 12 सितंबर को जारी एक आदेश के जरिये निजी संस्था को श्मशान घाट का प्रबंधन दिये जाने का फैसला निरस्त कर दिया गया है। वर्मा ने पत्र में कहा कि भोगांव शवदाह गृह के संचालन में उत्पन्न हो रही विषम परिस्थितियों के कारण जिला पंचायत अध्यक्ष ने विचार करने के बाद प्रबंधन ठेके को 11 सितंबर को निरस्त कर दिया है। जिला पंचायत के अध्यक्ष राजू कन्नौजिया ने कहा कि स्थानीय शासी निकाय अब श्मशान घाट के नवनिर्मित क्षेत्र के मंच या भवन समेत किसी भी हिस्से को अंतिम संस्कार के लिये उपलब्ध नहीं करायेगी। कन्नौजिया ने सोमवार को 'पीटीआई-भाषा' को बताया, ''ग्रामीण अब जहां चाहें वहां शवों का दाह संस्कार करने के लिये स्वतंत्र हैं।

'' उन्होंने कहा कि अगर इसी मार्च में हुई निविदा प्रक्रिया के दौरान ग्रामीणों ने विरोध किया होता तो किसी निजी संस्था को श्मशान का प्रबंधन कार्य नहीं सौंपा जाता तथा निविदा की प्रक्रिया तो ग्राम पंचायत की खुली बैठक में पूरी की गयी थी। कोन ब्लॉक प्रमुख मीनाक्षी सिंह के पति और प्रतिनिधि अनिल सिंह ने से कहा, ''श्मशान घाट का निर्माण अच्छी तरह से किया गया है। इसमें प्रतीक्षा कक्ष, दाह संस्कार मंच, पार्किंग क्षेत्र, डीप फ्रीजर और जनरेटर जैसी सुविधाएं मौजूद हैं।"

सिंह ने कहा कि जिला प्रशासन शुरू में चाहता था कि कोन विकास खंड प्रशासन श्मशान घाट का प्रबंधन और रखरखाव करे लेकिन उसके पास आवश्यक सुविधाएं और संसाधन नहीं थे। उन्होंने कहा, ''परिणामस्वरूप, जिला पंचायत ने प्रबंधन को निजी संस्था के हवाले करने का फैसला किया और सबसे अधिक बोली लगाने वाली संस्था को अनुबंध दिया गया।'' सिंह ने नीलामी की राशि का खुलासा नहीं किया, लेकिन पुष्टि की कि सबसे अधिक बोली लगाने वाले को प्रबंधन मिला। अनुबंध दिए जाने के बाद, डोम और धरिकार समुदायों ने इस कदम का विरोध करते हुए अनुबंध को रद्द करने की मांग की। एक स्थानीय अधिकारी के अनुसार इन समुदायों ने 11 दिनों तक विरोध प्रदर्शन और अनशन किया। 
 

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