Mahakumbh 2025: महाकुंभ का हुआ शुभारंभ, संगम में लगी हर-हर गंगे के साथ पौष पूर्णिमा की डुबकी

Edited By Pooja Gill,Updated: 13 Jan, 2025 08:37 AM

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Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है। पावन संगम तट पर प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा सोमवार सूर्य की किरणें फूटने से पहले ब्रम्ह मुहूर्त में शुरू हो गया...

Mahakumbh 2025: उत्तर प्रदेश तीर्थराज प्रयाग में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हो चुका है। पावन संगम तट पर प्रथम स्नान पर्व पौष पूर्णिमा सोमवार सूर्य की किरणें फूटने से पहले ब्रम्ह मुहूर्त में शुरू हो गया। आधी रात से ही श्रद्धालु मेला क्षेत्र में विभिन्न रास्तों से प्रवेश करने लगे और संगम पर भीड़ बढ़ने लगी। हर हर गंगे और जय गंगा मैया के घोष के बीच स्नान शुरू हुआ और  श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। विदेशी श्रद्धालुओं ने भी पावन स्नान किया।

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घाट पर बढ़ रही भीड़ 

संगम तट पर सामान्य श्रद्धालुओं के साथ बाबाओं का भी जमघट लगा है। स्थानीय और दूरदराज के जिलों से आये लोगों ने पुण्य की डुबकी लगाई। इस बीच पुलिस और सिविल डिफेंस के वालंटियर सीटियां बजाते लोगों को नियंत्रित करते रहे और स्नान के दौरान किसी को परेशानी न हो इसलिये टोलियों में फैल कर घाट पर भीड़ का संतुलन बनाये रहे।

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पौष पूर्णिमा से पहले संगम में 50 लाख श्रद्धालुओं ने लगायी डुबकी
पौष पूर्णिमा से एक दिन पहले रविवार को करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने महाकुम्भ में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम में डुबकी लगाई। रविवार को जारी एक आधिकारिक बयान कि मुताबिक, पुरुष, महिलाएं, बुजुर्ग, बच्चे और बड़ी संख्या में साधु-संत अनुष्ठान करने और डुबकी लगाने के लिए संगम पर एकत्र हुए हैं। सूचना निदेशक शिशिर ने बताया कि शनिवार को भी संगम में स्नान करने के लिए 33 लाख श्रद्धालु आए थे।

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विदेशी श्रद्धालुओं ने भी किया पावन स्नान
महाकुंभ में पहले ही दिन पौष पूर्णिमा के दिन हजारों लोगों ने संगम के तट पर आस्था की डुबकी लगाई। विदेशी श्रद्धालुओं ने भी पावन स्नान किया। महाकुंभ में शामिल होने रूस से आई एक श्रद्धालु ने कहा कि 'मेरा भारत महान'। भारत एक महान देश है। हम पहली बार कुंभ मेले में आए हैं। यहां हम असली भारत को देख सकते हैं। असली शक्ति भारत के लोगों में निहित है। मुझे भारत से प्यार है।

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महाकुंभ में 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर होने वाले आस्था के इस महा आयोजन में अगले 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे। महाकुंभ का यह संस्करण 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है। हालांकि संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए खगोलीय परिवर्तन और संयोजन 144 वर्षों के बाद हो रहे हैं जो इस अवसर को और भी ज्यादा शुभ बना रहे हैं। शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा है कि इस बार महाकुंभ में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु आएंगे। श्रद्धालुओं का आंकड़ा अभी से इस महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता की कहानी बयान कर रहा है। 


 

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