Edited By Ajay kumar,Updated: 23 Oct, 2023 05:25 PM

लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी नैया पार करने के लिए सभी राजनीतिक दल अनुसूचित वर्ग में अपनी पैठ बनाने में जुटे गए हैं। कांग्रेस खोए हुए जनाधार को पाने की जुगत में हैं, वहीं सपा पिछड़े वर्ग के साथ ही
लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 की चुनावी नैया पार करने के लिए सभी राजनीतिक दल अनुसूचित वर्ग में अपनी पैठ बनाने में जुटे गए हैं। कांग्रेस खोए हुए जनाधार को पाने की जुगत में हैं, वहीं सपा पिछड़े वर्ग के साथ ही अनुसूचित वर्ग में अपनी पैठ बनाने में जुटी हुई है। भाजपा अपने अनुभवों के सहारे फिर से वोट बैंक को बांधे रखना चाहती है, जबकि बसपा अपने वोट बैंक को फिर अपने साथ लाने की कवायद में जुटी है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने जीत दर्ज की थी। प्रदेश में कुल 80 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 62 सीटें जीती थीं, जबकि बसपा ने 10, सपा ने पांच, अपना दल सोनेलाल ने दो व कांग्रेस ने केवल एक सीट जीती थी। इस चुनाव में भाजपा अपनी रणनीति से बसपा के गैर जाटव व सपा के गैर यादव वोटरों को अपने पक्ष में लाने में सफल हुई थी।
पुराने फार्मूले पर काम कर रही भाजपा
भाजपा इस बार भी अपने पुराने फार्मूले पर काम कर रही है। भाजपा ने बीते सितंबर से बस्ती संपर्क व संवाद अभियान चला रही है। प्रदेश के सभी संगठनात्मक जिलों में अध्यक्षों को अनुसूचित वर्ग की बस्तियों के बीच जाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस अभियान के जरिए सरकार की योजनाओं से रूबरू कराने का कार्य हो रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ'सामाजिक समरसता प्रकल्प' के तहत भी अनुसूचित वर्ग की बस्तियों में लंबे समय से काम चल रहा है।

लोहिया के साथ अंबेडकर भी बने सहारा
पिछले लोकसभा चुनाव में अनुसूचित वर्ग पर ध्यान न देने वाली सपा इस बार इस वर्ग पर खासा ध्यान दे रही है। इसी रणनीति के तहत सपा ने विधानसभा चुनाव से पहले 15 अप्रैल 2021 को बाबा साहब अंबेडकर वाहिनी का गठन किया था। अब वाहिनी के नाम पर पार्टी में राष्ट्रीय से लेकर विधानसभा क्षेत्रवार कमेटी बनाई गई है, जिसमें इस वर्ग के नेताओं को जिम्मेदारी दी गई। है। सपा अब लोहिया व अंबेडकर को साथ लेकर विभिन्न आयोजन कर रही है।

कांग्रेस कांशीराम के सहारे
प्रदेश में अपनी खोई जमीन की तलाश में कांग्रेस ने वोट बैंक पर दावा मजबूत करने के लिए कांशीराम का सहारा लिया है। कांशीराम की पुण्यतिथि से कांग्रेस ने प्रदेश भर में 'दलित गौरव संवाद' कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। 26 नवंबर तक चलने वाले इस अभियान में कांग्रेस दलित अधिकार मांग पत्र के जरिए इस समुदाय के लोगों की मांगों, उनकी आशा- आकांक्षाओं को जानने की कोशिश कर रही है।

बसपा के लिए फिर सक्रिय हुआ वामसेफ
लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी एकता की कवायद में बसपा प्रमुख मायावती भले ही कहीं नजर न आ रही हों, लेकिन प्रदेश की सियासत में अपने खिसकते जनाधार को बचाने में जुटी हैं। कांशीराम द्वारा पूर्व में बनाई गई वामसेफ को फिर से सक्रिय किया गया है। मिशन 2024 के तहत पार्टी पदाधिकारियों को एक करोड़ नए सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया गया है।