CAA के खिलाफ होर्डिंग मामला: विपक्षी दलों ने किया उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत

Edited By Ajay kumar,Updated: 10 Mar, 2020 10:27 AM

hoarding case against caa opposition parties welcome high court verdict

विपक्षी दलों ने लखनऊ में जिला प्रशासन द्वारा लगवायी गयी विवादास्पद होर्डिंग को हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए इसे दमनकारी सरकार के लिये सबक करार दिया है।

लखनऊ: विपक्षी दलों ने लखनऊ में जिला प्रशासन द्वारा लगवायी गयी विवादास्पद होर्डिंग को हटाने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करते हुए इसे दमनकारी सरकार के लिये सबक करार दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार ना तो नागरिकों को प्रदत्त निजता के अधिकार की जानकारी रखती है और ना ही उसका संविधान के प्रति सम्मान है। राज्य की जनता इस सरकार से ऊब चुकी है। हम उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं। यह सत्तानशीन दमनकारी लोगों के लिये सबक है। 

कोर्ट के फैसले का स्वागत: सपा 
उधर, सपा ने ट्वीट किया है, ''नागरिकों की निजता, सम्मान और सुरक्षा पर प्रहार करने वाली भाजपा सरकार के संविधान विरोधी प्रयत्नों को रोकने वाले माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत है। ये दमनकारी सत्ताधीशों के मुंह पर कानून का तमाचा है। साथ ही संदेश भी साफ है। भेदभाव, बदले की कार्रवाई और ध्यान भटकाना बंद करे सरकार।'' 

मामले का स्वत: संज्ञान लेने पर कोर्ट का स्वागत- मायावती 
बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए 'ट्वीट' किया, ''लखनऊ में सीएए विरोधी आंदोलन मामले में हिंसा के आरोपियों के खिलाफ सड़कों/चौराहों पर लगे बड़े-बड़े सरकारी होर्डिंग/पोस्टरों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर उन्हें तत्काल हटाये जाने के आज दिये गये फैसले का बसपा स्वागत करती है।'' 

अहंकार और पूर्वाग्रह में डूबी है योगी सरकार- लल्लू 
इस बीच, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि अहंकार और पूर्वाग्रह में डूबी योगी सरकार ने अदालत द्वारा अब तक दोषी करार नहीं दिये गये कुछ व्यक्तियों को अपराधी और दंगाई बताकर उनसे वसूली के लिये उनकी फोटो और पतायुक्त होर्डिंग्स लगवाने का असंवैधानिक और तानाशाहीपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने कहा कि भाजपा जबसे केन्द्र और राज्य की सत्ता में आयी है, पूरी सरकार एक वर्ग विशेष के प्रति विद्वेषपूर्ण रवैया रख रही है और उसे परेशान करने के लिए सारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार करने पर अमादा है। पिछले कुछ दिनों से इसकी श्रंखला जैसी चलायी जा रही है। उच्च न्यायालय का आज का फैसला भारतीय संविधान और न्याय की विजय है।

क्या है मामला?
मालूम हो कि 19 दिसम्बर, 2019 को राजधानी लखनऊ में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शन और उस दौरान सार्वजनिक तथा निजी संपति को पहुंचे नुकसान के मामले में राज्य सरकार ने दारापुरी और जाफर समेत बड़ी संख्या में लोगों को दंगाई करार देते हुए उन्हें गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ वसूली नोटिस जारी की थी। गत गुरुवार को जिला प्रशासन ने नगर के हजरतगंज समेत चार थाना क्षेत्रों में प्रमुख चौराहों तथा स्थानों पर होर्डिंग लगवायी थीं, जिसमें इन आरोपियों की बड़ी तस्वीरें, पता और वल्दियत जैसी निजी जानकारियां भी छपवायी गयी थीं। सोमवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने लखनऊ जिला प्रशासन को आगामी 16 मार्च तक ये सभी होर्डिंग तथा पोस्टर हटाने के आदेश दिये। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंड पीठ ने जिला प्रशासन के इस कदम को निहायत नाइंसाफी भरा करार देते हुए इसे व्यक्तिगत आजादी का खुला अतिक्रमण माना था। 

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