अयोध्या विवाद: क्या विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था, इस मुद्दे पर 5वें दिन शुरू हुई सुनवाई

Edited By Deepika Rajput,Updated: 13 Aug, 2019 01:37 PM

hearing started on 5th day in ayodhya dispute

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस शुरू हुई कि क्या इस विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की...

नई दिल्ली/अयोध्याः अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर पांचवें दिन की सुनवाई के दौरान मंगलवार को इस मुद्दे पर बहस शुरू हुई कि क्या इस विवादित स्थल पर पहले कोई मंदिर था।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष रामलला विराजमान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने मस्जिद के निर्माण होने से पहले इस विवादित स्थल पर कोई मंदिर होने संबंधी सवाल पर बहस शुरू की। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की 3 न्यायाधीशों की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि विवादित स्थल पर मंदिर था। वैद्यनाथन ने कहा कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस यू खान ने अपने फैसले में कहा था कि मंदिर के अवशेषों पर मस्जिद का निर्माण किया गया। हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।

इससे पहले, रामलला विराजमान की ओर से ही वरिष्ठ अधिवक्ता के परासरन ने पीठ से कहा कि उसे अपने समक्ष आए सभी मामलों में पूर्ण न्याय करना चाहिए। संविधान पीठ ने पिछले शुक्रवार को परासरन से जानना चाहा था कि क्या ‘रघुवंश' राजघराने से कोई अभी भी वहां (अयोध्या) में रहता है। परासरन तत्काल इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सके, लेकिन जयपुर राजघराने की सदस्य और बीजेपी सांसद दिया कुमारी ने दावा किया कि उनका परिवार भगवान राम के पुत्र कुश के वंश से है। राजस्थान के राजसमंद से सांसद दिया कुमारी ने कहा कि न्यायालय ने जानना चाहा है कि भगवान राम के वंश के लोग कहां हैं? हमारे परिवार, जो उनके पुत्र कुश के वंशज हैं, सहित पूरी दुनिया में भगवान राम के वंश के लोग हैं।

शीर्ष अदालत इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि इस प्रकरण के तीनों पक्षकारों- सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर बराबर बांटने का निर्देश देने संबंधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है। इस मामले की चौथे दिन की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने परासरन से जानना चाहा था कि इस मामले में मुद्दई के रूप में ‘जन्म स्थान' को एक कानूनी तौर पर व्यक्ति कैसे माना जा सकता है, इसके जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा था कि हिन्दुत्व में किसी स्थान को मंदिर मानने के लिए वहां देवता की मूर्ति होना जरूरी नहीं है।

उन्होंने कहा था कि हिंदू किसी एक रूप में ईश्वर की अराधना नहीं करते हैं बल्कि वे ऐसे दैवीय अवतरण की पूजा करते हैं जिसका कोई स्वरूप नहीं है। इस विवाद को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने में सफलता नहीं मिलने के बाद न्यायालय 6 अगस्त से इसकी रोजाना सुनवाई कर रहा है। हालांकि, मुस्लिम पक्षकार एम.सिद्दीक और आल इंडिया सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सप्ताह के सभी 5 कार्य दिवसों पर इसकी सुनवाई किए जाने पर आपत्ति की थी, लेकिन संविधान पीठ ने इसे अस्वीकार कर दिया।

 

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