Hathras Stampede Case: हाथरस भगदड़ में 3 साल के बच्चे को खोने वाले पिता का छलका दर्द, कहा- ‘कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी'

Edited By Anil Kapoor,Updated: 03 Jul, 2024 03:47 PM

father who lost his 3 year old son in hathras stampede expressed his pain

Hathras Stampede Case: ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी।'' यह कहना था हाथरस के सिकंदराराऊ में सत्संग में हुई भगदड़ के दौरान मारे गये तीन साल के बच्चे के पिता का। सत्येंद्र यादव (29) दिल्ली में वाहन चालक के रूप में काम करते हैं और मंगलवार...

Hathras Stampede Case: ‘‘हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना होगी।'' यह कहना था हाथरस के सिकंदराराऊ में सत्संग में हुई भगदड़ के दौरान मारे गये तीन साल के बच्चे के पिता का। सत्येंद्र यादव (29) दिल्ली में वाहन चालक के रूप में काम करते हैं और मंगलवार सुबह अपने परिवार के सदस्यों के साथ ‘सत्संग' में भाग लेने के लिए यहां पहुंचे थे। यादव ने एक न्यूज एजेंसी से कहा कि जैसे ही मैं अपनी मां के साथ अपने वाहन (तीन पहिया लोडर) के पास पहुंचा तो मेरी पत्नी की कॉल आई...उसने कहा- पिलुआ थाने आ जाओ, छोटा खत्म हो गया है। यादव के तीन वर्षीय बेटे रोविन को उसका परिवार प्यार से ‘छोटा' नाम से बुलाता था। रोविन मंगलवार को यहां मची भगदड़ में मारे गए 122 लोगों में शामिल था। यादव ने कहा कि मैं अपनी पत्नी, उसकी दो बहनों और हमारे दो बेटों के साथ सोमवार रात करीब 11 बजे दिल्ली से निकला और मंगलवार सुबह साढ़े पांच बजे हम यहां पहुंच गए।

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उत्तर प्रदेश के एटा में अपने गांव में मौजूद यादव ने कहा कि रोविन का अंतिम संस्कार मंगलवार रात को गांव में किया गया। यह घटना मेरे परिवार के लिए बहुत दुखद है। भगदड़ के डरावने मंजर को याद करते हुए यादव ने कहा कि एक बार तो मैं समझ ही नहीं पाया कि यह क्या हो गया है? बाद में मैंने देखा कि कुछ लोग एक महिला को कहीं ले जा रहे थे। मुझे लगा कि वह (मौसम के कारण) बेहोश हो गई होगी, इसीलिये उसे इलाज के लिये ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके बाद मेरी पत्नी की कॉल आई। मेरी आवाज तो उस तक पहुंच रही थी, लेकिन मैं उसकी आवाज नहीं सुन पा रहा था। इसलिए मैंने उसे वहां आने के लिए कहा, जहां मैंने अपनी गाड़ी खड़ी की थी।

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यादव ने कहा कि कुछ समय बाद उसके पास पत्नी का फिर से फोन आया। उस वक्त वह अपनी बहनों के साथ एटा के पिलुआ थाने में थी। फोन पर उसने भगदड़ में रोविन की मौत की खबर के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि बाद में गांव के प्रधान समेत उनके गांव से लोग मौके पर पहुंचे। इसी तरह, भाई-बहन काव्या (तीन) और आयुष (नौ) के लिए सोमवार शाम को राजस्थान के जयपुर से आयोजन स्थल तक की बस यात्रा उनका आखिरी सफर साबित हुआ। अपने रिश्तेदार एवं मृतक भाई-बहनों के पिता आनंद के साथ बस में शाहजहांपुर जा रहे रामलखन ने कहा कि उन्होंने अभी तक उन्हें (आनंद) इस दुखद समाचार के बारे में नहीं बताया है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उन्हें गहरा सदमा पहुंच सकता है।

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रामलखन ने कहा कि मुझे शाम करीब 5 बजे इस दुखद घटना के बारे में पता चला। वे (काव्या और आयुष) मेरी पत्नी के साथ सत्संग में गए थे। हम शाहजहांपुर के रहने वाले हैं, लेकिन मैं जयपुर में काम करता हूं। बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य सोमवार शाम को जयपुर से निकले थे और सुबह छह बजे तक वे सत्संग वाली जगह पर पहुंच गए। उन्होंने कहा कि दोनों बच्चे मेरे काफी करीब थे और रविवार को मैंने उनसे बात भी की थी। यह बेहद दुखद घटना है और हमारा परिवार सदमे में है। हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी घटना घटेगी। बच्चे और परिवार के सदस्य पहले भी सत्संग में शामिल हुए थे। रामलखन ने कहा कि उन्हें पता चला कि आयोजन स्थल पर भीड़भाड़ थी। उन्होंने कहा कि आयुष और काव्या के पिता मेरे साथ (बस में) हैं। मैंने उन्हें दुखद समाचार के बारे में नहीं बताया है, ताकि उन्हें सदमा न लगे। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिंकदराराऊ के फुलरई गांव में मंगलवार को एक सत्संग में भगदड़ मचने से 122 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश महिलाएं थीं।

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