जेलों की जर्जर हालत: हाईकोर्ट ने सरकार को फिर दिखाया आइना, मांगी रिपोर्ट

Edited By Nitika,Updated: 01 Aug, 2022 02:23 PM

hc sought report from the government

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जेलों में सुधार के मामले में प्रदेश सरकार को एक बार फिर आइना दिखाया है। साथ ही उसकी मांग को खारिज करते हुए 3 सप्ताह में अनुपालन रिपोर्ट पर पेश करने को कहा है। वहीं इस मामले में आगामी 23 अगस्त को सुनवाई होगी।

 

नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने जेलों में सुधार के मामले में प्रदेश सरकार को एक बार फिर आइना दिखाया है। साथ ही उसकी मांग को खारिज करते हुए 3 सप्ताह में अनुपालन रिपोर्ट पर पेश करने को कहा है। वहीं इस मामले में आगामी 23 अगस्त को सुनवाई होगी।

दरअसल, उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने आठ दिसंबर, 2021 को एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए सरकार को प्रदेश की जेलों में तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने और राजस्थान की तर्ज पर प्रदेश में ओपर एयर कैम्प (जेल) बनाने जैसे कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे। अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि बंदी हमारे समाज के अंग हैं और उनके भी मौलिक अधिकार हैं। उनके अधिकारों का सम्मान होना चाहिए। यही नहीं अदालत ने जेलों में सुधार को लेकर तेलंगाना के पूर्व जेल महानिरीक्षक वीके सिंह की अध्यक्षता में एक 3 सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया था और कमेटी को राज्य की सभी जेलों का भौतिक सर्वे कर 3 महीने में सम्यक रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।

अदालत ने सरकार को कमेटी की रिपोर्ट पर 6 महीने के अंदर अनुपालन के भी निर्देश दे दिए थे। अदालत ने अपने आदेश में सितारगंज स्थित सम्पूर्णनानंद केन्द्रीय जेल को राजस्थान माडल पर विकसित करने और हरिद्वार और देहरादून में ओपन एयर जेल का बनाने, जेलों के लिए पर्याप्त बजट जारी करने, आधुनिक सुविधाएं मुहैया करवाने और हैदराबाद की चेरापल्ली जेल की तर्ज पर बंदियों की स्किल बढ़ाने के लिये विभिन्न उपाय करने के निर्देश दिए थे। अदालत ने जेलों में खाली 407 पदों को भी भरने को कहा था। मगर सरकार ने अदालत के आदेश का अनुपालन करने के बजाय पिछले सप्ताह एक प्रार्थना पत्र दायर कर 8 दिसंबर, 2021 को दिए गए आदेश के कुछ बिंदुओं को वापस लेने की मांग की। सरकार की ओर से कहा गया कि शीर्ष अदालत के 2013 के आदेश के अनुपालन में केन्द्र सरकार की ओर से भी जेलों के सुधार को लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है और उक्त कमेटी सभी राज्यों की जेलों को लेकर एक रिपोर्ट पेश करेगी। सरकार की ओर से उच्च न्यायालय की ओर से बनाई गई कमेटी को वापस लेने की मांग करते यह भी कहा गया कि दोनों कमेटियों का उद्देश्य एक ही है।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की युगलपीठ में इस मामले में सुनवाई हुई और अदालत ने सरकार के रिकॉल (वापस) प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया गया और उलटा सरकार को निर्देश दिया कि 3 सदस्यीय कमेटी की अनुशंसाओं पर 3 सप्ताह में अनुपालन रिपोर्ट अदालत में पेश करे और साथ ही 8 दिसंबर, 2021 को दिए गए निर्णय में उठाये गये अन्य बिन्दुओं के मामले में भी प्रगति रिपोर्ट पेश करे।

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