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पक्षपातपूर्ण रवैया छोड़ संविधान धर्म निभाए योगी सरकार, मायावती ने दी सलाह

Edited By Pooja Gill,Updated: 16 Jan, 2025 02:52 PM

yogi government should leave partisan attitude

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विरोधी दल सरकारी तंत्र के पक्षपात रूपी रवैये से परेशान है। इसलिए सरकार को सलाह है कि वह जिलों में नौकरशाही की द्वेषपूर्ण एवं मनमानी कार्रवाई के विरुद्ध अपना संविधान धर्म निभाए...

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (BSP) प्रमुख मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में विरोधी दल सरकारी तंत्र के पक्षपात रूपी रवैये से परेशान है। इसलिए सरकार को सलाह है कि वह जिलों में नौकरशाही की द्वेषपूर्ण एवं मनमानी कार्रवाई के विरुद्ध अपना संविधान धर्म निभाए। मायावती ने आज पार्टी पदाधिकारियों व जिला अध्यक्षों की बैठक में कैडर आधारित ठोस रणनीति पर विचार-विमर्श किया और पार्टी की आर्थिक मजबूती के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए।

यूपी में यह कैसा कानून का राज है? 
इस बैठक में बसपा सुप्रीमो के दोनों भतीजे आकाश आनंद और ईशान मौजूदगी चर्चा का विषय बनी रही। उन्होंने कहा कि प्राप्त फीडबैक के अनुसार यूपी के जिलों में सरकारी तंत्र की जुल्म-ज्यादती से लोग त्रस्त है, जिसके प्रति राज्य सरकार को गंभीर व संवेदनशील होना बहुत जरूरी है। साथ ही, विरोधियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई से लोगों का यह सवाल स्वाभाविक है कि यूपी में यह कैसा कानून का राज है कि सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर जुर्म की अनदेखी कर दी जाती है। ऐसे में यूपी के जि़लों में सरकारी तंत्र की द्वेषपूर्ण एवं मनमानी कार्रवाई के विरुद्ध राज्य सरकार को अपना संविधान धर्म निभाने की सलाह दी जाती है।

'राज्य सरकार को न्यायालय की तरह जिम्मेदारी निभाना चाहिए'
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि उनकी पार्टी केवल अपने कार्यकर्ताओं से ही विभिन्न रूपों में आर्थिक मदद लेकर ही अपनी पार्टी की गतिविधियों को चलाती है, जबकि कांग्रेस, भाजपा व अन्य विरोधी पाटिर्यों की तरह बड़े-बड़े पूँजीपतियों व धन्नासेठों आदि से आर्थिक मदद लेकर अपनी पार्टी की गतिविधियों को चलाती हैं। उन्होंने कहा कि यूपी के जिलों से पार्टी की फीडबैक के अनुसार प्रदेश में कानून-व्यवस्था के नाम पर जिस प्रकार से जिलों में दमनकारी नीति अपनाकर अधिकतर यहाँ गरीबों, मजलूमों, बेसहारा व मेहनतकश लोगों को अंधाधुंध गिरफ्तार करके जेल में कैद किया जा रहा है वह लोगों को यहाँ पुलिस राज जैसा चिन्तनीय लगता है, जिसके प्रति राज्य सरकार को न्यायालय की तरह गंभीर व संवेदनशील होकर संविधान धर्म की जिम्मेदारी जरूर निभाना चाहिए।

'यूपी में यह कैसा कानून का राज है'
मायावती ने कहा कि विरोधियों के खिलाफ खासकर पुलिस कार्रवाई से लोगों का यह सवाल स्वाभाविक है कि यूपी में यह कैसा कानून का राज है। सत्ताधारी लोगों के लिए उनके हर जुर्म की अनदेखी क्यों है। क्या इससे कानून-व्यवस्था सुधर पाएगी। इतना ही नहीं बल्कि सिविल मुकदमों को भी क्रिमनल केस की तरह कारर्वाई करना भी क्या उचित है। इसका भी राज्य सरकार को जरूर समुचित संज्ञान लेना चाहिए। इसके अलावा, जिलों में प्रशासन व पुलिस का रवैया ज्यादातर मामलों में राजनीतिक, साम्प्रदायिक व जातिवादी द्वेष का होने से यह आम धारणा बन रही है कि यह सब भाजपा की नीति के तहत वोट की राजनीति के लिए सरकारी मशीनरी व पुलिस का अनुचित इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में कानून का राज का अभाव लोगों की चिन्ता का विशेष कारण है।     

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