विस इलेक्शन 2022ः खोई जमीन वापस पाने की जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस, गांवों में फैला रही नेटवर्क

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 21 Jan, 2021 10:35 AM

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कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद और सड़क पर उतर कर राजनीति करने की रणनीति के जरिये उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन वापस पाने की जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस अगले साल होने वाले...

लखनऊ:  कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद और सड़क पर उतर कर राजनीति करने की रणनीति के जरिये उत्तर प्रदेश में अपनी खोई जमीन वापस पाने की जद्दोजहद में जुटी कांग्रेस अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ग्रामीण इलाकों में संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की पुरजोर कोशिश कर रही है। देश की राजनीति की दिशा तय करने वाले इस राज्य में दो दशकों से अधिक समय से हाशिये पर टिकी कांग्रेस ने बदलते परिद्दश्य में ग्रामीण इलाकों में संगठन को मजबूत करने की बीड़ा उठाया है।

बता दें कि इसके लिये पार्टी पिछले करीब दो महीने से संगठन सृजन अभियान संचालित कर रही है। अभियान के तहत ब्लाक और पंचायत स्तर पर बैठकें आयोजित की जा रही है। पार्टी नेतृत्व का लक्ष्य ग्रामीण अंचलों में कार्यकर्ताओं का बड़ा नेटवकर् तैयार करना है जिसके जरिये न सिर्फ पंचायत बल्कि विधानसभा चुनाव में अपनी उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज कराने के साथ सत्ता पर काबिज होना है।

लल्लू ने कहा ‘‘ हमारी सबसे बडी चिंता गांवों में कार्यकर्ता का नहीं होना था जो नेटवर्क आज खड़ा हो चुका है। संगठन सृजन अभियान के जरिये हम प्रदेश के सभी तहसील,ब्लाक और पंचायत में पहुंचेंगे। इस दिशा में 62 फीसदी ब्लाकों तक पार्टी पहुंच चुकी है जबकि बचा हुआ काम महीने के अंत तक पूरा कर लिया जायेगा। '' उन्होंने कहा ‘‘ दलित कांग्रेस,यूथ कांग्रेस,एनएसयूआई,महिला कांग्रेस समेत सभी फ्रंटल गांव गांव मोहल्ले टोले लगे हुये है। सड़क पर भी कांग्रेस पार्टी नम्बर एक की भूमिका है। विपक्ष की भूमिका का सही निर्वहन हम ही कर रहे हैं। हमारी चिंता ग्रामीण अंचलों में खुद को एक बार फिर खड़ा करना था जिस पर हम काम कर रहे हैं।

लल्लू ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ब्लाक स्तर पर 1100 से 1500 लोग जुड़ रहे है। हाल ही में उन्होने आजमगढ़ के सरायमीर और मुबारकपुर के अलावा जौनपुर में सभा की जिसका रिस्पांस जबरदस्त रहा है। ग्रामीण इलाकों मेंके पक्ष में करंट अच्छा है। संपकर् और संवाद की इस नीति से नीचे तक का कार्यकर्ता खड़ा हो जायेगा। जब हम नीचे जाते है तो प्रत्याशी भी मिलते हैं,आदमी भी मिलते है और कार्यक्रम भी मिलता है। 

उन्होंने कहा कि पार्टी को विषम हालात से उबारने के लिये समय समय पर पार्टी आलाकमान ने कुछ कदम उठाये मगर नतीजा आशा के अनुरूप नहीं रहा। हालांकि पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का उत्तर प्रदेश का प्रभार संभालने और प्रदेश की कमान अजय कुमार लल्लू को सौंपने के बाद पार्टी प्रदेश की राजनीति में फिर से अपने पांव जमाने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है।

 

 

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