व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं: हाईकोर्ट

Edited By Ajay kumar,Updated: 08 Dec, 2023 03:43 PM

violation of personal freedom is not acceptable under any circumstances

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पीड़िता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि किसी पीड़िता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। महिला की इच्छा के बिना उसे नारी निकेतन में नहीं रखा जा...

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक पीड़िता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि किसी पीड़िता की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन किसी भी दशा में स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। महिला की इच्छा के बिना उसे नारी निकेतन में नहीं रखा जा सकता है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी की एकल पीठ ने पीड़िता को उसके नवजात शिशु सहित नारी निकेतन से मुक्त कर उसके पति को सुपुर्द करते हुए पारित किया है। इसके साथ ही सत्र न्यायालय में चल रही समूची प्रक्रिया एवं चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, जालौन द्वारा पारित आदेश और पोक्सो एक्ट के अंतर्गत दर्ज मामले को रद्द कर दिया।

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व्यक्तिगत स्वतंत्रता व्यक्ति का मौलिक अधिका
कोर्ट ने माना कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। मामले के अनुसार अभियुक्त मनोज कुमार उर्फ मोनू कठेरिया के खिलाफ पीड़िता की मां द्वारा कोतवाली उरई, जिला जालौन में आईपीसी की विभिन्न धाराओं एवं पोक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। उसके बाद पीड़िता को कानपुर स्थित नारी निकेतन भेजा गया, जहां महिला ने एक पुत्री को जन्म दिया।

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पीड़िता ने अभियुक्त पर लगाया था गंभीर आरोप
अभियुक्त पर यह आरोप है कि वह पीड़िता को बहला फुसलाकर अपने साथ भगा ले गया था। इसके बाद अभियुक्त ने हाईकोर्ट में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत अर्जी दाखिल कर पुलिस चार्जशीट और कोर्ट की समूची कार्यवाही को चुनौती दी।=

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