UP Nikay Chunav: निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, बुधवार को होगी सुनवाई

Edited By Ramkesh,Updated: 02 Jan, 2023 01:00 PM

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UP Nikay Chunav यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC reservation)मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले में  मेंशनिंग किया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि...

लखनऊ: UP Nikay Chunav: यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC reservation) मामले को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई बुधवार को होगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मामले में  मेंशनिंग किया गया है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले को जल्द सुना जाना चहिए। मेहता ने कहा डीलिमिटेशन की प्रक्रिया चल रही है। दरअसल, इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को समाप्त कर दिया है। वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकार तय समय पर चुनाव कराए। मामले ने राजनीतिक रंग पकड़ा तो सरकार ने ट्रिपल टेस्ट के आधार पर आरक्षण देने का फैसला लिया। इसके लिए सरकार ने ओबीसी आयोग का गठन कर दिया। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए का कि स्थानीय निकाय चुनाव में आयोग की रिपोर्ट आने के बाद चुनाव कराया जाएगा। योगी सरकार ने इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की अपील सुप्रीम कोर्ट से की है।

OBC reservation के लिए सरकार ने आयोग का किया गठन
कोर्ट के आदेश के बाद दो दिन बाद ही इस मामले में पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन कर दिया। सरकार ने अपने आदेश में कहा कि संविधान में दिए गए अधिकारों के तहर ओबीसी को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गठित पिछड़ा वर्ग आयोग की पहली बैठक शनिवार को हुई जिसमें प्रदेशव्यापी सर्वेक्षण के संबंध में नीतियों और प्रक्रियाओं पर विमर्श हुआ और उम्मीद जताई गई कि जनप्रतिनिधि उचित जानकारी मुहैया कराएंगे।

OBC आयोग के अध्यक्ष  राम अवतार सिंह बोले, उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का होगा पालन
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राम अवतार सिंह ने कहा कि आयोग डेटा संग्रह के लिए प्रत्येक जिले में जाएगा और जिलाधिकारियों से संपर्क करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि आयोग को उम्मीद है कि उसका काम छह महीने में पूरा हो जाएगा। अध्यक्ष ने कहा कि आयोग अन्य राज्यों जैसे बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में किए गए कार्यों को देखेगा और जानेगा कि वहां क्या प्रक्रिया अपनाई गई है। बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) सिंह ने बताया कि निकाय चुनाव विषयक अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों का  पालन किया जाएगा।

सरकार ने पांच सदस्यीय टीम का किया है गठन
उन्होंने बताया कि आयोग ने अब विधिवत कामकाज शुरू कर दिया है, बैठक हर दिन होगी। उनका कहना था कि यह बिल्कुल नया कार्य है, ऐसे में सभी बिंदुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद ही कार्यवाही की जाएगी। इस आयोग के अन्य चार सदस्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी चोब सिंह वर्मा और महेंद्र कुमार, पूर्व अपर विधि परामर्शी संतोष कुमार विश्वकर्मा और बृजेश कुमार सोनी हैं। आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल से मंजूरी के बाद की गई है। नगर विकास विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, इस आयोग का कार्यकाल अध्यक्ष और सदस्यों के पदभार ग्रहण करने के दिन से छह महीने के लिए होगा। उल्लेखनीय है कि इस आयोग का गठन इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा राज्य सरकार के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों पर मसौदे को खारिज कर देने और ओबीसी को बगैर आरक्षण दिए स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिए जाने के बाद किया गया है ।

ये है ट्रिपल टेस्ट का फार्मूला
1- राज्य के भीतर स्थानीय निकायों के रूप में पिछड़ेपन की प्रकृति और निहितार्थ की कठोर जांच करने के लिए एक आयोग की स्थापना।
2- आयोग की सिफारिशों के मुताबिक स्थानीय निकाय-वार प्रावधान किए जाने के लिए आवश्यक आरक्षण के अनुपात को निर्दिष्ट करना, ताकि अधिकता का भ्रम न हो।
3- किसी भी मामले में ऐसा आरक्षण अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के पक्ष में आरक्षित कुल सीटों के कुल 50% से अधिक नहीं होगा।

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