Edited By Umakant yadav,Updated: 08 Mar, 2021 07:42 PM
भले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उत्तर प्रदेश में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी की राज्य इकाई के फैसले ने कार्यकर्ताओं को भ्रमित कर दिया है, जिसके कारण...
लखनऊ: भले ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए उत्तर प्रदेश में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी की राज्य इकाई के फैसले ने कार्यकर्ताओं को भ्रमित कर दिया है, जिसके कारण नेताओं के बीच नाराजगी है।
हाल की घटना लखनऊ शहर में देखी गई थी जहां पार्टी ने 24 दिसम्बर, 2019 को शहर अध्यक्ष मुकेश सिंह चौहान को नियुक्त किया था, जिन्होंने पार्टी के लिए लॉकडाउन अवधि के दौरान अथक परिश्रम किया था। लेकिन अचानक, पार्टी राज्य इकाई ने दो शहर अध्यक्षों को नियुक्त किया, एक उत्तर लखनऊ के लिए और दूसरा दक्षिण लखनऊ के लिए। लेकिन पार्टी ने एक माह के दौरान वर्तमान शहर अध्यक्ष को सूचित किए बिना उन्हें हटा दिया। पार्टी तीन और शहर अध्यक्षों को नियुक्त करने के लिए एक कदम दूर है, पूर्व, पश्चिम और मध्य के लिए।
हालांकि वर्तमान शहर अध्यक्ष चौहान अभी अपने कागजात नहीं रखे हैं, लेकिन पार्टी के नेताओं ने रविवार को नए दो शहर अध्यक्ष अजय कुमार श्रीवास्तव उर्फ अज्जू (उत्तर) और दिलप्रीत सिंह (दक्षिण) की शपथ ली जबकि अजय को पिछली आठ जनवरी को नियुक्त किया गया था, दिलप्रीत को एक मार्च को नियुक्त किया गया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने सोमवार को कहा कि इस तरह के भ्रम से उन पुराने नेताओं का मनोबल गिर जाएगा जिन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा दी थी।
एक अन्य नेता ने कहा, ‘‘मुकेश सिंह चौहान लखनऊ में जन्मे कांग्रेसी हैं और वार्ड पार्षद थे, लेकिन बिना किसी कारण के उनके अचानक हटाए जाने से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।