24 का चक्रव्यूहः त्रिकोणीय मुकाबले में फंसी केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा की सीट

Edited By Ajay kumar,Updated: 10 May, 2024 04:48 PM

union minister bhanu pratap verma s seat stuck in triangular contest

बुंदेलखंड की जालौन गरौठा भोगनीपुर संसदीय सीट को हॉट सीट माना जाता है। इसकी वजह है केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा का यहां से मैदान में होना। भानु प्रत्ताप वर्मा जहां जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पसीना बहा रहे हैं तो सपा के नारायण दास अहिरवार और...

जालौनः  बुंदेलखंड की जालौन गरौठा भोगनीपुर संसदीय सीट को हॉट सीट माना जाता है। इसकी वजह है केंद्रीय मंत्री भानु प्रताप वर्मा का यहां से मैदान में होना। भानु प्रत्ताप वर्मा जहां जीत की हैट्रिक लगाने के लिए पसीना बहा रहे हैं तो सपा के नारायण दास अहिरवार और बसपा के सुरेश चंद्र उन्हें रोक कर सांसद बनने के लिए उनकी क्षेत्र में गैर मौजूदगी को मुद्दा चना रहे है। भाजपा भी यहां मोदी की गारंटी और लाभाथीपरक योजनाओं के सहारे जीत सुनिश्चित करने में जुटी है। जल्द ही यहां कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव संयुक्त रूप से रैली को संबोधित कर सकते हैं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित जालौन संसदीय सीट पर इस बार भानु प्रताप वर्मा के लिए जीत आसान नहीं दिख रही है। वे कड़े मुकाबले में फंस गए हैं। कालपी, माधौगढ़, भोगनीपुर और गरौठा पांच विधानसभा सीटें इस लोकसभा क्षेत्र में आती हैं। भोगनीपुर सीट कानपुर देहात तो गरौठा सीट झांसी जिले में है। शेष तीनों सीटें जालौन जिले की है। 

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विधानसभा चुनाव में भाजपा को चार सीटों पर मिली थी जीत
विधानसभा चुनाव में भाजपा को चार सीटों पर जीत मिली थी। कालपी सीट पर सपा के विनोद चतुर्वेदी ने जीती थी। समाजवादी पार्टी ने इस सीट को जीतने के लिए बसपा के कद्दावर नेता एवं पूर्व मंत्री रहे नारायण दास अहिरवार को चुना है। बसपा नेतृत्व से अनबन होने के बाद अहिरवार सपा में चले गए थे और लगातार क्षेत्र में बने हुए थे। मुख्य मुकाबला भी इस सीट पर सपा और भाजपा उम्मीदवार के बीच दिख रहा है। हालांकि बसपा की कोशिश है कि सपा-भाजपा की लड़ाई में उसका उम्मीदवार बाजी मार ले। वैसे इस सीट पर 1999 में बसपा के बृजलाल खाबरी जीत चुके हैं। 2009 में सपा के घनश्याम अनुरागी यहां से सांसद बने थे। खाबरी अब कांग्रेस में हैं और वे प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। इस सीट से वे टिकट के दावेदार भी थे लेकिन गठबंधन की वजह से सीट सपा के हिस्से में गई तो चुनाव लड़ने का उनका सपना टूट गया। हालांकि गठबंधन उम्मीदवार की जीत के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं और क्षेत्र में बने हुए हैं।

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पांचवीं बार सांसद बनने की कोशिश में भानुप्रताप
 वैसे तो इस सीट को भाजपा ने 1991 में जीता था। तब पार्टी उम्मीदवार गया प्रसाद कोरी को यहां जीत मिली थी। 1996 के चुनाव में भाजपा ने भानु प्रताप वर्मा को मैदान में उतारा। वेन सिर्फ यहां से जीते बल्कि जब 1998 में चुनाव हुआ तो फिर सांसद बनने में कामयाब रहे। 2014 और 2019 में भी वे सांसद बने अब पांचवीं जीत के साथ ही हैट्रिक मारने की कोशिश कर रहे हैं। राजनीति के मंझे खिलाड़ी भानु प्रताप वर्मा क्षेत्र के रहने वाले उज्ज्वला योजना, पीएम किसान सम्मान निधि व अन्य योजनाओं के लाभार्थियों को ही अपना हीरो बताने में लगे हैं। लाभार्थियों से संपर्क करने के साथ उनसे दूसरों को भी भाजपा के पक्ष में वोट देने के लिए प्रेरित करने का आग्रह भी कर रहे हैं। पीएम मोदी की गारंटी के लाभ भी गिना रहे हैं। विरोधी दल भाजपा संविधान बदलकर आरक्षण खत्म कर देगी यही मतदाताओं को बताने में लगे हैं।

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