24 का चक्रव्यूहः महोबा में बसपा के हर कदम पर सपा और भाजपा की निगाह, जीत की हैट्रिक लगाने को आतुर पुष्पेंद्र सिंह चंदेल

Edited By Ajay kumar,Updated: 24 Apr, 2024 04:30 PM

chakravyuh of 24 sp and bjp keeping an eye on every step of bsp in mahoba

हमीरपुर- महोबा संसदीय सीट पर सपा और भाजपा ने उम्मीदवार तो उतार दिए पर बसपा ने अपने पत्ते अभी भी नहीं खोले हैं। जीत की हैट्रिक लगाने को आतुर भाजपा के सांसद एवं उम्मीदवार पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को जहां बसपा के चेहरे का बेसब्री से इंतजार है तो सपा की...

महोबाः हमीरपुर- महोबा संसदीय सीट पर सपा और भाजपा ने उम्मीदवार तो उतार दिए पर बसपा ने अपने पत्ते अभी भी नहीं खोले हैं। जीत की हैट्रिक लगाने को आतुर भाजपा के सांसद एवं उम्मीदवार पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को जहां बसपा के चेहरे का बेसब्री से इंतजार है तो सपा की निगाह भी बसपा के कदम पर टिकी हुई है। देखना यह है कि बसपा इस सीट से किसे अपना महावत चुनती है।

पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा
भाजपा ने मोदी लहर में 2014 व 2019 में बुंदेलखंड की सभी सीटों पर जीत दर्ज किया था। इस बार भी पार्टी की कोशिश है कि पिछले इतिहास को दोहराया जाए। इसीलिए पार्टी लगातार बूथ स्तर पर काम कर रही है। अगर बात करें हमीरपुर- महोबा की तो इस संसदीय सीट पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है।इससे भी पार्टी का पलड़ा इस चुनाव में भारी नजर आ रहा है लेकिन सपा ने इस चुनाव में बड़ा दांव चला है। पार्टी ने लोध जाति के अजेंद्र सिंह राजपूत को मैदान में उतार कर भाजपा की टेंशन बढ़ा दी है। यहां की चरखारी और राठ विधानसभा क्षेत्र में लोधों का वर्चस्व है। हालांकि राजपूत मतदाताओं की संख्या भी कम नहीं है। पहले यहां लोध जाति के ही ज्यादातर सांसद हुआ करते थे लेकिन तिंदवारी के जुड़ जाने के बाद स्थिति बदल गई। बसपा किसी ब्राह्मण चेहरे पर यहां दांव लगा सकती है। हालांकि वह कौन होगा अभी तय नहीं है।

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भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल के पास जीत की हैट्रिक लगाने का मौका-
1952 से 1962 तक हुए तीन चुनावों कांग्रेस के मनुलाल द्विवेदी ही लगातार तीन बार जीते, जबकि कांग्रेस 1952 से 1971 तक लगातार पांच बार जीती थी। मनुलाल के बाद किसी भी उम्मीदवार ने यहां से जीत की हैट्रिक नहीं लगाई। भाजपा के पुष्पेंद्र सिंह चंदेल को यह मौका मिल सकता है। सपा और बसपा ने जब 2019 में गठबंधन किया तो यह लगा था कि भाजपा इस सीट को गंवा देगी, लेकिन तमाम कोशिश के बाद भी बसपा के दिलीप कुमार सिंह यहां से जीत नहीं पाए थे। इस बार कांग्रेस और सपा का गठबंधन है। जल्द ही यहां राहुल गांधी का रोड शो, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव की जनसभा भी होनी है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां के मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में मोड़ने के लिए जनसभा करेंगे।

2007 में विधानसभा चुनाव हार गए थे चंदेल
2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे पुष्पेंद्र सिह चंदेल बसपा प्रत्याशी राकेश गोस्वामी से हार गए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में पुष्पेंद्र सिंह को पार्टी ने टिकट नहीं दिया था। तब आशंका जताई गई थी कि वह भाजपा छोड़ देंगे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। परिणाम स्वरूप 2014 में उन्हें लोकसभा का टिकट टिकट मिला और वे जीते भी।

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