Edited By Ajay kumar,Updated: 02 May, 2024 05:38 PM
सोनभद्र की चार और चंदौली जिले की एक सीट को मिलाकर बनाई गई रॉबट्सगंज संसदीय सीट पर 2019 में भाजपा की सहयोगी अपना दल एस (अद एस) के पकौड़ी लाल कोल जीते थे। इस बार पकौड़ी लाल को टिकट मिलेगा या नहीं अभी तय नहीं है।
लखनऊः सोनभद्र की चार और चंदौली जिले की एक सीट को मिलाकर बनाई गई रॉबट्सगंज संसदीय सीट पर 2019 में भाजपा की सहयोगी अपना दल एस (अद एस) के पकौड़ी लाल कोल जीते थे। इस बार पकौड़ी लाल को टिकट मिलेगा या नहीं अभी तय नहीं है। इंडिया गठबंधन की प्रमुख सहयोगी पार्टी सपा भी अपना दल के उम्मीदवार का इंतजार कर रही है। वैसे सपा भी किसी कोल जाति के ही चेहरे को मैदान में उतारेगी। वह चेहरा कौन होगा यह पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही तय करेगा फिलहाल स्थानीय इकाई ने तीन नामों का पैनल भेजा है। वैसे भी इस सीट पर मुकाबला कड़ा होने की उम्मीद है क्योंकि बसपा भी यहां मजबूत स्थिति में है। पार्टी ने धनेश्वर गौतम को उम्मीदवार बनाया है।
अपना दल बदल सकती है उम्मीदवारः
इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि अपना दल एस इस सीट से अपने उम्मीदवार को बदल सकती है। हालांकि पार्टी नेतृत्व अभी खुलकर नहीं बोल रहा है। उम्मीदवार की घोषणा कभी हो सकती है। नेतृत्व की ओर से कई नामों पर चर्चा की जा रही है। हालांकि सांसद पकौड़ी लाल कोल भी टिकट को पक्का करने को लेकर संघर्षरत हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि अगर अपना दल उनका टिकट काटती है तो सपा उन्हें फिर से मौका दे सकती है। वह 2014 में भी सपा के टिकट पर लड़े थे लेकिन तीसरे नंबर पर रहे थे तब बसपा को यहां दूसरा स्थान मिला था।
मतदाताओं ने हर दल को दिया मौकाः
इस संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, भाजपा, सपा, बसपा हर दल के उम्मीदवार को सांसद बनाकर दिल्ली भेजा। 1989 की राम लहर में भाजपा ने इस सीट को जीता था लेकिन जब 1991 में प्रचंड राम लहर थी तब यहां से जनता दल को जीत मिली। पार्टी के राम निहोर राय यहां से सांसद बनने में कामयाब हो गये थे। 1977 में जनता पार्टी का भी परचम लहरा चुका है। बसपा ने पहली बार 2004 में इस सीट को जीता था लेकिन 2007 में उप चुनाव हुआ। हालांकि बसपा का उम्मीदवार फिर जीता लेकिन इसके # बाद से बसपा को कभी जीत नसीब नहीं हुई। 1989 में हार के बाद कांग्रेस के उम्मीदवारों को भी सांसद बनने का मौका नहीं मिला।
भाजपा लगा चुकी है जीत की हैट्रिक
1962, 1967 व 1971 में कांग्रेस के राम स्वरूप ने हैट्रिक लगाई थी जबकि 1996, 1998 और 1999 में भाजपा के राम सकल लगातार तीन चुनाव जीते। 2008 में जब परिसीमन बदला तो इस सीट पर सपा के पकौड़ी लाल कोल पहली बार सांसद बने। बाद में वे अपना दल एस में शामिल हुए और 2019 में उन्हें पुनः सांसद बनने का मौका मिला। वैसे तो 2014 में भाजपा ने यह सीट जीती थी लेकिन 2019 में यह सीट उसने अपनी सहयोगी अपना दल को दे दिया था।
2019 में भाजपा की सहयोग अपना दल को मिली थी इस सीट पर जीत
2019 का जनादेशः 2019 के लोकसभा चुनाव में अपना दल के प्रत्याशी पकौड़ी लाल कोल चुनाव जीते। पकौड़ी लाल कुल 4,47,914 वोट पाकर विजयी रहे। वहीं दूसरे नंबर पर 3, 93, 578 वोट पाकर सपा प्रत्याशी भाई लाल दूसरे नंबर पर रहे।