तो इस कारण से यादव समाज सबसे पहले करता है श्री काशी विश्वनाथ में जलाभिषेक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jul, 2017 03:41 PM

शिव की नगरी काशी में पिछले कई दशकों से एक परम्परा निभाई जा रही है। जिसके चलते काशी के सभी प्रमुख शिवालयों में सैकड़ों की संख्या में....

वारणसीः शिव की नगरी काशी में पिछले कई दशकों से एक परम्परा निभाई जा रही है। जिसके चलते काशी के सभी प्रमुख शिवालयों में सैकड़ों की संख्या में यादव बंधू देवाधिदेव महादेव का जलाभिषेक करते है। वहीं आज सावन के पहले सोमवार को भक्ति और श्रद्धा में डूबे हजारों यादव बंधुओं ने काशी विश्वनाथ के दरबार सहित कई शिव मंदिरों में हाजिरी लगाई है।

मान्यता- बारिश के लिए यादव समाज ने किया था जलाभिषेक
यदुवंशी के अनुसार यह मान्यता है कि अनादि काल में एक बार सावन के ही महीने में वारणसी सहित पूरे भारत में सूखा पड़ गया था। तब कई ब्राह्मणों और ऋषियों ने यादव परिवार के लोगों को काशी के श्री विश्वनाथ मंदिर सहित कई शिवालयों में जलाभिषेक करने का आदेश दिया और इसके बाद भारी वर्षा हुई थी। तब से ये परम्परा वारणसी में यादव परिवार के लोग आज तक निभाते आए हैं, जिसमें हर साल करीब 50 हजार यदुवंशी परिवार भाग लेते हैं।

परंपरा- काशी विश्वनाथ में जुटते है हजारों यदुवंशी
वहीं वाराणसी में सावन के पहले सोमावार को परम्परानुसार यदुवंशी समाज के लोग हजारों की संख्या में हांथो में गागर और अन्य पात्र लिए न केवल द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से प्रमुख श्री काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करते हैं बल्कि शहर के सभी प्रमुख शिवालयों में भगवान् आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं। समय बीतने के साथ ही अब इस अनोखी जलाभिषेक की परम्परा में शहर के हजारों यदुवंशी युवा भाग लेते हैं।

इस तरह से करते है जलाभिषेक
हजारों की संख्या में हांथो में गागर और अन्य पात्र लिए विश्व की प्राचीनतम शिव नगरी काशी में सावन के पहले सोमवार को यादव समाज के लोग एक होकर जुट होते है और गंगा घाट से गंगाजल भर बारी-बारी शहर के प्रमुख शिवालयों में भगवान आशुतोष का जलाभिषेक करते हैं।
 

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