लक्ष्य तय करने के बाद उसे हासिल करने का परिश्रम ही हमें अनमोल बनाता है: योगी

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 11 Dec, 2019 11:00 AM

the hard work to achieve it after setting the goal makes us precious yogi

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। लक्ष्य तय करने के बाद उसे हासिल करने के लिए किया जाने वाला परिश्रम ही हमें अनमोल बनाता है। योगी महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में बोल रहे थे।...

 

गोरखपुरः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं है। लक्ष्य तय करने के बाद उसे हासिल करने के लिए किया जाने वाला परिश्रम ही हमें अनमोल बनाता है। योगी महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अपेक्षाकृत पिछड़े पूर्वी उत्तर प्रदेश में 1932 में ब्रह़मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी ने महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी। उस समय का पौधा अगर वट वृक्ष बना है तो उसके पीछे इससे जुड़े लोगों की मेहनत है। यहां के बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार और राष्ट्रवाद का भी पाठ पढ़ाया जाता है।

मंगलवार को एमपी शिक्षा परिषद के संस्थापक सप्ताह समारोह के समापन और पुरस्कार वितरण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1932 वह कालखंड था जब ये देश गुलाम था। ऐसे समय में परिषद के जरिए ब्रह़मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी ने इस क्षेत्र में शिक्षा की अलख जगायी। मुख्यमंत्री ने कहा कि जब भी कोई स्वाभिमानी समाज अपने सम्मान की रक्षा और भावी पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए जागरुक हो जाता है, तो कोई ताकत उस पर बहुत दिनों तक शासन नहीं कर सकती है। आज़ादी मिलना पर्याप्त नहीं, बल्कि आज़ादी के मायनों को जानकर समर्थ और शक्तिशाली भारत का निर्माण हम सबका मकसद है।

शिक्षा परिषद की स्थापना के पीछे महंत दिग्विजयनाथ की यही सोच थी। योगी ने कहा निजी क्षेत्र में महिलाओं के लिए पहला शिक्षण संस्थान बनाने का श्रेय भी एमपी शिक्षा परिषद को ही है। ब्रह़मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी ने ज्ञान के जिस मंदिर की स्थापना की थी उसे पूज्य गुरुदेव ब्रह़मलीन महंत अवेद्यनाथ जी ने और प्रकाशमान किया। यह सिलसिला आज भी जारी है। उन्होंने कहा, “एमपी शिक्षा परिषद का उद्देश्य शिक्षा के मूल्य उद्देश्यों को प्राप्त करना, शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अपना योगदान देना, स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना है।

खासकर उन क्षेत्रों में जहां शासन की पहुंच नहीं है या अपेक्षाकृत कम पहुंच है। इस मौके पर मौजूद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सकहा कि शिक्षा को बच्चों के जीवन के लिए उपयोगी बनाएं। कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई के दौरान अनुशासन और खुद को पहचाने पर जोर होना चाहिए। सेहत ठीक रहे, आपके भोजन, खेल कूद की व्यवस्था, पढ़ाई में रुचि बढ़ाने के लिए क्या होना चाहिए, शिक्षकों को यह सोचना चाहिए।





 

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