आपबीती : अच्छी पगार के चाह में गए 14 युवकों को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में झोंका, तीन लोगों की मौत

Edited By Purnima Singh,Updated: 29 Dec, 2024 12:34 PM

russia threw 14 youths into the war against ukraine

रूस-यूक्रेन के युद्ध में मऊ और आजमगढ़ के दर्जनभर लोग फंसे हुए हैं। सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी देने के लिए इन्हें बुलाया गया था। अच्छे वेतन की चाह में गए भारतीय युवकों को रूस-यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया। वहीं बताया जा रहा है कि आजमगढ़ और मऊ के 14...

लखनऊ : रूस-यूक्रेन के युद्ध में मऊ और आजमगढ़ के दर्जनभर लोग फंसे हुए हैं। सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी देने के लिए इन्हें बुलाया गया था। अच्छे वेतन की चाह में गए भारतीय युवकों को रूस-यूक्रेन युद्ध में झोंक दिया गया। वहीं बताया जा रहा है कि आजमगढ़ और मऊ के 14 युवकों को सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के नाम पर रूस भेजा गया था। इसमें से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। एक लापता है। बाकी वहां फंसे हुए हैं।

एजेंट विनोद ने सिक्योरिटी गार्ड के जगह युद्ध मे झोंक दिया
एजेंट विनोद के द्वारा मोटी पगार और सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी दिलाने की बात कहकर अपने साथ ले गए थे। जहां उन्हें युद्ध मे झोंक दिया। वहीं मऊ जनपद के रहने वाले बृजेश यादव यूक्रेन युद्ध में गोली लगने से घायल हुए थे जिसके बाद अक्तूबर में स्वदेश लौटे थे। बृजेश यादव मधुबन तहसील के धर्मपुर विशुनपुर के रहने वाले हैं। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि मऊ-आजमगढ़ जिले का एजेंट विनोद अपने जीजा आजमगढ़ निवासी कन्हैया यादव सहित 14 लोगों के साथ रूस में फंसे थे। हम लोग फरवरी में गए थे, कन्हैया की दिसंबर के पहले सप्ताह में यूक्रेन-रूस युद्ध में मौत हो गई। 

हर माह दो लाख वेतन का दिया गया था झांसा
बृजेश ने बताया, फरवरी 2024 में अपने साथी सुनील, श्यामसुंदर यादव समेत सात लोगों के साथ रूस में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने गया था। हर माह दो लाख वेतन का झांसा दिया गया था। मगर वहां पहुंचने पर सपना टूट गया और हम लोगों को 15 दिन का सैन्य प्रशिक्षण देकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में उतार दिया गया। एजेंट विनोद की धोखेबाजी से जिले के दो साथियों की असमय मौत हो गई। एजेंट विनोद का अब तक सुराग नहीं लग सका है। 

ड्रोन हमले में घायल साथी को पिलाया पानी 
बृजेश यादव ने युद्ध का एक वाकया बताते हुए कहा कि हमारा ग्रुप जुलाई में एक जगह जा रहा था। इस बीच ड्रोन हमला हुआ, इसमें आजमगढ़ निवासी दीपक गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे हम लोगों ने पानी पिलाया, मगर अस्पताल पहुंचने से पहले ही उसकी मौत हो गई। दीपक का शव भिजवाने के लिए हमने रूसी अधिकारियों से बातचीत की। मगर उन्होंने हमें चुप करा दिया।

एजेंट ने कहा कि नौकरी सिक्योरिटी गार्ड की है, शुरुआत में 80 से 90 हजार रुपये मिलेंगे। जिसके बाद मऊ के पांच युवाओं के साथ रूस में सिक्योरिटी गार्ड के लिए निकला गया। जिसमें सभी को रूस-यूक्रेन के युद्ध मे झोंक दिया गया। वहीं सुनील और श्याम सुंदर की मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि घोसी थाना क्षेत्र के चन्द्रपार निवासी सुनील यादव और श्याम सुंदर कोई रियापार के रहने वाले हैं। 

अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का दिया गया प्रशिक्षण 
बृजेश ने बताया कि रूस पहुंचने पर पहला सप्ताह सामान्य रहा। रोज परिवार से बातचीत कर रहे थे। लेकिन एक सप्ताह बाद ट्रेन से दूसरी जगह भेज दिया गया। साथ में एक रूसी सेना का अधिकारी भी मौजूद था, जो हमें एक प्रशिक्षण केंद्र पर ले गया, जहां पर हम लोगों को अलग-अलग गन, ग्रेनेड चलाने का प्रशिक्षण दिया गया। वहां पर हमारी कोई नहीं सुन रहा था। 

चार-चार के ग्रुप में बांट कर युद्ध में उतारा गया 
प्रशिक्षण के बाद हमें चार-चार के ग्रुप में बांट कर युद्ध में उतार दिया गया। युद्ध में घोसी तहसील के चंदापार निवासी सुनील यादव की जान चली गई। पीड़ित बृजेश के अनुसार, सुनील, श्यामसुंदर और दो लोगों के ग्रुप को हमारे ग्रुप से दूर भेजा गया था, जहां सुनील और श्यामसुंदर की मौत की सूचना मिली। बताया कि मेरे ग्रुप का एक सदस्य बम के हमले में शहीद हो गया था। 

बृजेश के ठीक होने पर उसे दोबारा युद्ध में भेजने की हुई कोशिश 
इस दौरान मेरे बांये पैर में गोली लगी थी। इसके बाद वहां पर मेरा उपचार हुआ। इसी बीच एक स्थानीय अधिकारी को अपनी आपबीती बताई। इसका नतीजा यह हुआ कि उसने दूतावास से संपर्क करवाया। बृजेश ने आरोप लगाया कि ठीक होने पर उसे दोबारा युद्ध क्षेत्र में भेजने की कोशिश की गई, मगर दूतावास के दबाव के चलते स्वदेश भेज दिया गया।
 

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