सारा अली खान के केदारनाथ धाम पहुंचने पर मुस्लिम गुरुओं का आया रिएक्शन...जानिए क्या बोले

Edited By Harman Kaur,Updated: 12 May, 2023 04:26 PM

reaction of muslim gurus on sara ali khan s arrival at kedarnath dham

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में सूफी इस्लामिक बोर्ड (Sufi Islamic Board) के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी (Kashish Warsi) ने सारा अली खान (Sara Ali Khan) को लेकर कट्टरपंथियों के द्वारा दिए गए बयान पर नाराजगी.....

मुरादाबाद: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में सूफी इस्लामिक बोर्ड (Sufi Islamic Board) के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी (Kashish Warsi) ने सारा अली खान (Sara Ali Khan) को लेकर कट्टरपंथियों के द्वारा दिए गए बयान पर नाराजगी जताई है। इसके साथ ही उन्होंने कट्टरपंथियों को आईना दिखाया है। 

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सारा अली खान के केदारनाथ मंदिर में जाने को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सारा अली खान एक एक्टर हैं। एक्टर का काम होता है मंदिर में जाना। वह उनकी अदाकारी है। उन्होंने कहा कि सारा अली खान के मंदिर में जाने से मुसलमानों का कोई ताल्लुक नहीं है, इस्लाम का कोई ताल्लुक नहीं है। वह उनका अपना जाति किरदार है। वहीं, जो लोग इस पर एतराज कर रहे हैं, जो मुसलमान हैं, वह इस को सही करार दे रहे हैं। हिंदुस्तान में अलग-अलग मजहब इदारे हैं, सब लोग अपने रीति रिवाज और रस्मों को फॉलो करते हैं।

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कशिश वारसी ने कहा कि हिंदुस्तान के कानून के द्वारा इसकी इजाजत दी गई है जो जिस समाज का है वह उस को फॉलो कर सकता है। ऐसा नहीं है कि स्थित मस्जिद में आए हिंदू मस्जिद में जा कर पूजा करें, ऐसा नहीं है। अपने-अपने मजहब पर सख्ती से पालन करें, उनसे अपील है। अगर सारा अली खान मुसलमान है तो इस तरीके का काम ना करें, यह इस्लामी तालीम के खिलाफ है। मुस्लिम धर्म में एक अल्लाह की मदद की जाती है, उसके अलावा किसी के आगे सर झुकाना जायज नहीं है और कहीं पर भी किसी भी दरबार में जाकर सिर झुकाना जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ मुसलमान है जो अंदर से नाम निहाल मुसलमान हैं। वह तमाम बातों को जायज करार दे रहे हैं, ऐसा नहीं है।

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उन्होंने कहा कि हिंदुस्तानी कानून कहता है कि जिसका जो मजहब है, उसका सख्ती से पालन करें। हिंदू भाई अपने मंदिरों में पूजा करें। मुसलमान मस्जिदों में करें और सिख भाई गुरुद्वारे में पूजा करें। जिनके जो मजहबी मक्कामात हैं वहां जाकर इबादत करें। आपसी भाईचारे का यह मतलब नहीं होता कि मुसलमान मंदिरों में जाकर पूजा पाठ करें और हिंदू मुस्लिम में आकर नमाज पढ़े यह गलत है। जिसका जो मजहब है वह उसे फॉलो करें। अगर सारा अली खान मुसलमान है तो इन बातों से एतराज करें।

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वहीं, मौलाना मुफ्ती मोहम्मद कासिम ने कहा कि सारा अली खान का यह जरिया उनकी रोजी रोटी का मामला है, लेकिन ऐसा नहीं है कि सारा अली खान के द्वारा धर्म परिवर्तन कर लिया गया है। जहां तक रोजी का मामला होता है फिल्मी इंडस्ट्री में यही फिल्मी हैं। इसी तरीके की टॉपिक हैं और इसी तरीके की फिल्में बनती हैं। जहां तक हमारे धर्म गुरुओं और आलिम के द्वारा जो उनके द्वारा कहा गया है वह भी सही कहा गया है। जिसका जो धर्म है उसे वह फॉलो करना चाहिए, लेकिन वह फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हुए हैं तो वह कर रहे हैं। 

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