उप्र : 18वीं विधानसभा का पहला सत्र शुरू, हंगामे के बीच राज्यपाल ने पढ़ा अभिभाषण

Edited By PTI News Agency,Updated: 23 May, 2022 03:04 PM

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लखनऊ, 23 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच शुरू हुआ। शोरगुल के बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सदन में अपना अभिभाषण पढ़ा।

लखनऊ, 23 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश की 18वीं विधानसभा का पहला सत्र सोमवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच शुरू हुआ। शोरगुल के बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने सदन में अपना अभिभाषण पढ़ा।
सुबह 11 बजे राष्ट्रगान के बाद विधानमंडल के समवेत सदन की कार्यवाही राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू हुई। मगर अभिभाषण शुरू होने से पहले ही समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक बैनर और पोस्टर लेकर सदन के बीचोंबीच आ गए और नारेबाजी करने लगे। सपा सदस्यों ने ‘गवर्नर गो बैक’ के नारे लगाए।
इसी शोरगुल के बीच आनंदीबेन पटेल ने अभिभाषण पढ़ना शुरू किया। एक घंटे तक पढ़े गए अभिभाषण में उन्होंने राज्य सरकार की विभिन्न उपलब्धियों का जिक्र किया।

सपा, राष्ट्रीय लोकदल (रालोद), कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के सदस्य सदन में राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध कर रहे थे, लेकिन सपा की सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के सदस्यों ने इसका विरोध नहीं किया।

इस बारे में पूछे जाने पर सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “पहली बात तो यह है कि राज्यपाल महोदया महिला हैं। दूसरी बात यह है कि जो पुरानी परंपरा है, सब बदल रही है तो राज्यपाल के विरोध की यह पुरानी परंपरा भी बदलनी चाहिए! हमारी पार्टी विरोध जरूरी नहीं समझती, इसलिए विरोध नहीं किया।”
सपा द्वारा विरोध का औचित्य पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “सबकी पार्टी के हम मालिक तो हैं नहीं, हम तो अपनी पार्टी के मालिक हैं।”
उत्तर प्रदेश में सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने वाली सुभासपा के नेता से जब सवाल किया गया कि कहीं आप दोनों के रास्ते जुदा तो नहीं हो रहे हैं तो उन्होंने दावा किया कि इसका सवाल ही नहीं पैदा होता है।

सपा के वरिष्ठ सदस्य आजम खां शुक्रवार को एक मामले में उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने पर करीब 27 माह बाद सीतापुर जेल से रिहा हुए और सोमवार को उन्होंने अपने विधायक पुत्र अब्दुल्ला आजम खां के साथ विधानसभा सदस्यता की शपथ ली। हालांकि, वह सत्र में शामिल नहीं हुए।
आजम खां की सीट सदन में नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बगल में निर्धारित की गई है। वह दसवीं बार विधानसभा सदस्य चुने गए हैं। हां, उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम जरूर सदन में आए, लेकिन उन्होंने सपा के अन्य सदस्यों की तरह विरोध नहीं किया। वह पिछली कतार में अपनी सीट पर बैठे रहे।
सपा के चिह्न पर चुनाव जीतने वाले प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी अखिलेश से कुछ दूर निर्धारित अपनी सीट पर बैठे रहे, लेकिन उन्होंने भी राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध नहीं किया।
सपा के वरिष्ठ सदस्य ओमप्रकाश सिंह भी अपनी सीट पर ही बैठे देखे गए, जबकि पार्टी के लगभग सभी सदस्य अपनी सीट छोड़कर लगातार नारेबाजी करते रहे।

सपा के वरिष्ठ सदस्य रविदास मेहरोत्रा ने आजम खां के सदन में न आने के सवाल पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उनकी (आजम खां) तबीयत खराब थी, इसलिए वह शपथ लेने के बाद चले गए, लेकिन उनके पुत्र अब्दुल्ला आजम सदन में रहे। मेहरोत्रा ने दावा किया कि अब्दुल्ला आजम ने राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया।

राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी सदस्य हाथों में तख्तियां और बैनर थामे हुए थे, जिन पर पुरानी पेंशन की बहाली, कानून-व्यवस्था व छुट्टा पशुओं की समस्या समेत विभिन्न मुद्दों का जिक्र था। सपा सदस्य ‘कानून-व्यवस्था ध्वस्त है, योगी सरकार मस्त है’, ‘जब से भाजपा आई है, महंगाई लाई है’ जैसे नारे लगाते हुए लगातार अभिभाषण का विरोध कर रहे थे। पार्टी की महिला सदस्यों ने सरकार विरोधी नारों वाली जैकेट पहन रखी थी।

उधर, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भगवा टोपी लगाकर आए थे और अभिभाषण के समर्थन में मेजें थपथपाने से लेकर तालियां बजा रहे थे।
यह राज्य विधानमंडल का बजट सत्र भी है। इसमें आगामी 26 मई को बजट पेश किए जाने की संभावना है।
राज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पिछली सरकार (2017-2022) की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा, “पूर्व की तरह मेरी सरकार प्रदेशवासियों को पारदर्शी एवं जवाबदेह शासन तथा ईमानदार व संवेदनशील प्रशासन उपलब्ध कराने के लिए तत्पर रहेगी।”
उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 (चुनावी घोषणापत्र) के माध्यम से प्रदेश की जनता से कई वादे किए गए हैं। मेरी सरकार इन वादों को पूरा करने के लिए कृत संकल्पित है। वह इन्हें पूरा करने के लिए तेजी से कार्य कर रही है।”
एक घंटा, एक मिनट और 15 सेकेंड के अभिभाषण के दौरान राज्यपाल ने तीन बार पानी पिया और विरोध कर रहे सदस्यों की परवाह किए बिना भाषण जारी रखा।
उन्होंने कहा, “प्रदेश के विकास को नई ऊंचाइयां देने के लिए परियोजनाओं के क्रियान्वयन की समयसीमा तय करते हुए कार्य संपादित किए जाएंगे।”
विकास कार्यों की उपलब्धियों के आंकड़ों के साथ राज्यपाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश में रक्षा गलियारे पर तेजी से काम हो रहा है, प्रदेश में स्वरोजगार को लेकर योजनाओं पर विशेष जोर है, लघु उद्यमों की स्थापना और एमएसएमई को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है, लखनऊ से गाजीपुर तक पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया गया है।
राज्यपाल ने पांच वर्ष के दौरान हुए विकास कार्यों को सिलसिलेवार तरीके से गिनाया। उन्होंने कहा कि इसके अलावा सरकार ने किसानों का बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान किया, 20 सिंचाई परियोजनाएं पूरी की गईं, प्रदेश में विमान सेवा बेहतर किए जाने पर काम हुआ, पांच अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों का निर्माण किया गया, जेवर में एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा बनाया जा रहा है और रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में अहम कदम उठाए गए हैं।

आनंदीबेन ने अपने अभिभाषण की शुरुआत में कोरोनाकाल की चुनौतियों और विधानसभा चुनाव की चर्चा करते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश की विवेकशील जनता ने राष्ट्रवाद, सुशासन, सुरक्षा और विकास पर विश्वास जताते हुए मेरी सरकार को दोबारा सेवा देने का अवसर प्रदान किया है। यह अवसर किसी सरकार को 37 वर्ष के बाद प्राप्त हो पाया, जो यह सिद्ध करता है कि सरकार जन अपेक्षाओं पर पूरी तरह से खरी उतरी है।”
उल्लेखनीय है कि 1985 में कांग्रेस पार्टी की लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी और उसके बाद किसी भी दल को लगातार दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का अवसर नहीं मिला था।

राज्यपाल ने कहा, “सरकार के प्रभावी प्रयासों का परिणाम है कि उत्तर प्रदेश आज विकास की चार दर्जन योजनाओं में देश में पहले स्थान पर है, जो सुशासन का प्रत्यक्ष प्रमाण है। मेरी सरकार के कार्यकाल में सभी पर्व एवं त्यौहार शांतिपूर्वक संपन्न हुए।”
कार्यवाही के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव और सपा विधायक अब्दुल्ला आजम भी सदन में मौजूद थे।

इससे पहले, सपा के वरिष्ठ विधायक आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम ने विधानसभा की सदस्यता की शपथ ली। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपने कक्ष में दोनों को शपथ दिलाई।
आजम खां विभिन्न आरोपों में जेल में बंद होने के कारण शपथ नहीं ले सके थे, जबकि अब्दुल्ला ने भी शपथ नहीं ली थी।



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