ऑटिज़्म कोई बीमारी नहीं, सही इलाज और देखभाल से संभव है सामान्य जीवन, पढ़ें ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ पर खास रिपोर्ट

Edited By Ramkesh,Updated: 18 Jun, 2025 12:04 PM

autism is not a disease normal life is possible with proper treatment

हर साल 18 जून को पूरी दुनिया में ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चों और व्यक्तियों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना और उनके आत्मविश्वास को मजबूती देना है। वर्ष 2005 में इस दिवस की शुरुआत हुई थी, ताकि ऑटिज़्म...

लखनऊ: हर साल 18 जून को पूरी दुनिया में ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ मनाया जाता है। इसका उद्देश्य ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चों और व्यक्तियों के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाना और उनके आत्मविश्वास को मजबूती देना है। वर्ष 2005 में इस दिवस की शुरुआत हुई थी, ताकि ऑटिज़्म को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर किया जा सके।

ऑटिज़्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक न्यूरो-डेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो बच्चों में सामाजिक संवाद और व्यवहार को प्रभावित करता है। अक्सर देखा जाता है कि ऑटिस्टिक बच्चे लोगों से बातचीत या घुलने-मिलने में कठिनाई महसूस करते हैं, और कई बार एक ही व्यवहार या शब्द को दोहराते रहते हैं।

'द होप रिहैबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर' की अनूठी पहल
लखनऊ स्थित ‘द होप रिहैबिलिटेशन एंड लर्निंग सेंटर’, ऑटिज़्म और ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) जैसे डिसऑर्डर से ग्रसित बच्चों को मुख्यधारा में लाने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। वर्ष 2023 में स्थापित यह संस्था, अब तक 50 से अधिक बच्चों को विभिन्न थैरेपी के माध्यम से स्कूल और समाज की मुख्यधारा से जोड़ चुकी है।

संस्था के प्रबंध निदेशक दिव्यांशु कुमार ने ‘ऑटिस्टिक प्राइड डे’ के अवसर पर बताया कि संस्थान का मुख्य उद्देश्य ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चों की क्षमताओं को निखारना और समाज में उन्हें बराबरी का दर्जा दिलाना है। उनका मानना है कि सही समय पर पहचान और थेरेपी के माध्यम से बच्चे सामान्य जीवन जी सकते हैं।

संस्थान में उपलब्ध सेवाएं:
- ऑक्यूपेशनल थैरेपी

- स्पीच थैरेपी

- बिहेवियरल थैरेपी

-पेडियाट्रिक फिजियोथैरेपी

-स्पेशल एजुकेटर द्वारा शैक्षिक सहायता

-जन-जागरूकता की आवश्यकता
संस्था समय-समय पर निःशुल्क कैंप आयोजित कर रही है, जहां ऑटिज़्म से ग्रसित बच्चों को चार दिन की नि:शुल्क सेवाएं दी जाती हैं। इनमें असेसमेंट से लेकर विभिन्न थैरेपी सेशन्स शामिल होते हैं।संस्था अब ‘वाटर वैन प्रोजेक्ट’ की भी शुरुआत करने जा रही है, जिसके माध्यम से गर्मियों में लोगों को शुद्ध जल के साथ-साथ न्यूरो डाइवर्सिटी से जुड़ी जागरूकता भी दी जाएगी। भविष्य में रोबोटिक और हाइड्रो थैरेपी को भी जोड़ा जाएगा।

दिव्यांशु कुमार का संदेश समाज के लिए
“हर बच्चा विशेष है, जरूरत है उसकी क्षमताओं को समझने और संवारने की। अगर सही समय पर इलाज और परामर्श शुरू हो जाए, तो ऑटिज़्म से जूझ रहे बच्चे भी समाज में आत्मनिर्भर और सफल जीवन जी सकते हैं।”

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