Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 23 Apr, 2019 08:37 AM
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पीलीभीत नेपाल और उत्तराखंड से सटा हुआ खूबसुरत जगह है। इसके अलावा इसे एक वजह से और जाना जाता है। वो है गांधी परिवार का गढ़। देश में अमेठी और रायबरेली को ही गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पीलीभीत भी गांधी परिवार से ही जुड़ा है। मेनका गांधी...
पीलीभीतः पीलीभीत नेपाल और उत्तराखंड से सटा हुआ खूबसुरत जगह है। इसके अलावा इसे एक वजह से और जाना जाता है। वो है गांधी परिवार का गढ़। देश में अमेठी और रायबरेली को ही गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है, लेकिन पीलीभीत भी गांधी परिवार से ही जुड़ा है। मेनका गांधी दशकों से इस सीट पर काबिज रही। लेकिन 2009 के चुनाव में उन्होने अपने बेटे वरूण के लिए सीट छोड़ी, लेकिन 2014 में वो फिर से अपनी सीट पर वापस आ गई। अगर बात करें इस सीट के इतिहास कि तो इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ और कांग्रेस ने जीत दर्ज की, लेकिन उसके बाद 1957, 1962 और 1967 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव जीता। 1971 में कांग्रेस इस सीट पर वापसी कर पाई, लेकिन 1977 के सत्ता विरोधी लहर में बीएलडी के खाते में ये सीट गई। वहीं 1980 और 1984 में कांग्रेस यहां आखिरी बार जीत पाई। उसके बाद ये सीट हमेशा से मेनका गांधी की हो गई।
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संजय की मौत के बाद मेनका ने इस सीट से चुनाव 1989 में जनता दल से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, लेकिन 2 साल बाद 1991 में हुए चुनाव में वो बीजेपी प्रत्याशी से हार गई। 1996 में मेनका गांधी यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ी और जीत हासिल की, लेकिन 1998 और 1999 में हुए चुनाव में मेनका ने निर्दलीय ही चुनाव लड़कर जीत हासिल की। 2004 में मेनका गांधी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ी और जीत हासिल कि 2009 में अपने बेटे वरूण के लिए मेनका ने सीट छोड़ दी। वरूण यहां से सांसद बने, लेकिन 2014 के चुनाव में मेनका गांधी फिर यहां से चुनाव लड़ी और संसद पहुंची। इस तरीके से कह सकते हैं कि ये सीट भी गांधी परिवार का गढ़ है। 2019 में एक बार फिर वरूण गांधी यहां से चुनाव लड़ रहे हैं और मेनका गांधी सुल्तानपुर से।
पीलीभीत के अंतर्गत 5 विधानसभा सीटें
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बात करें विधानसभा सीटों की तो इस लोकसभा में 5 विधानसभा की सीटें हैं। जिनमें 1 सीट बरेली जिले की बहेड़ी सीट है। बाकी 4 सीटें पीलीभीत जिले की हैं...इनमें पीलीभीत, बड़खेड़ा, पूरनपुर और बिसालपुर शामिल हैं।
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2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से यहां सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी। सपा, बसपा समेत दूसरे क्षेत्रीय दलों का यहां से सूपड़ा साफ हो गया था।
जानिए बरेली से कितने मतदाता करेंगे मत का प्रयोग
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बात करें मतदाताओं कि तो पीलीभीत सीट पर कुल 17 लाख 47 हज़ार 654 वोटर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जिनमें पुरूष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 41 हज़ार 480 है। जबकि महिला वोटरों की संख्या 8 लाख 6 हज़ार 96 है। वहीं ट्रांस जेंडर वोटरों की संख्या 78 है।
एक नजर 2014 के लोकसभा चुनाव पर
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पीलीभीत लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें तो इस सीट पर 5 बार की सांसद मेनका गांधी ने छठी बार चुनाव जीता। मेनका ने सपा के बुद्दसेन को भारी मतों से हराया था। मेनका गांधी को कुल 5 लाख 46 हज़ार 934 वोट मिले थे। जबकि सपा से बुद्धसेन वर्मा को 2 लाख 39 हज़ार 882 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के अनीस अहमद खान थे। अनीस को कुल 1 लाख 96 हज़ार 294 वोट मिले थे।
एक नजर 2009 के लोकसभा चुनाव पर
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2009 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने ये सीट अपने बेटे फिरोज वरूण गांधी के लिए छोड़ दी थी। फिरोज वरूण गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा और गांधी परिवार की बादशाहत कायम रखी। वरूण गांधी ने कांग्रेस वीएम सिंह को भारी मतों से हराया। फिरोज वरूण गांधी को कुल 4 लाख 19 हज़ार 539 वोट मिले। जबकि कांग्रेस के वीएम सिंह को 1 लाख 38 हज़ार 38 वोटों से संतोष करना पड़ा। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के रियाज अहमद रहे। रियाज को कुल 1 लाख 17 हज़ार 903 वोट मिले।
एक नजर 2004 के लोकसभा चुनाव पर
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2004 लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजेपी से मेनका गांधी ने ही चुनाव जीता। मेनका ने सपा उम्मीदवार सत्यपाल गंगवार को हराया था। मेनका गांधी को इस चुनाव में 2 लाख 55 हज़ार 615 वोट मिले थे। जबकि सपा से सत्यपाल गंगवार को 1 लाख 52 हज़ार 895 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के अनीस अहमद थे। अनीस को कुल 1 लाख 21 हज़ार 269 वोट मिले थे।