Edited By Ajay kumar,Updated: 26 May, 2024 06:33 PM
उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण में पूर्वांचल की 13 सीटों पर पहली जून को वोट पड़ेंगे। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट भी शामिल हैं। इस चरण में भी भाजपा और सपा-कांग्रेस...
लखनऊः उत्तर प्रदेश में सातवें और अंतिम चरण में पूर्वांचल की 13 सीटों पर पहली जून को वोट पड़ेंगे। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट भी शामिल हैं। इस चरण में भी भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन में जंग देखने को मिल रही है। बसपा कई सीटों पर त्रिकोणात्मक तस्वीर बनाती नजर आ रही है। सातवें चरण में जिन 13 सीटों पर वोट पड़ने हैं, उनमें से 11 सीटों पर पिछली बार एनडीए ने जीत दर्ज की थी जबकि दो सीटों पर सपा- बसपा गठबंधन की जीत हुई थी। इस भाजपा जहां सभी 13 सीटों को जीतने के इरादे से अपनी ताकत लगाए है, वहीं विपक्षी गठबंधन में अपनी सीटें बढ़ाने के लिए जातीय गणित सेट करने में जुटा है।
इंडिया गठबंधन की लड़ाई आसान नहीं
2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो 13 सीटों पर इंडिया गठबंधन की लड़ाई आसान नहीं है। अगर सपा-कांग्रेस के साथ बसपा को अपनी सीटें बढ़ानी है तो उन्हें कम से कम 15 फीसद वोट अपने पक्ष में लाना होगा। पिछले चुनाव में भाजपा को औसतन 52.11 फीसद वोट मिले और सपा-बसपा के खाते में 37.43 वोट ही आए थे। 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन था जो भाजपा के सामने बेहद मजबूत था, बावजूद इसके गठबंधन को तब दो ही सीटें मिल पाई थी। इस बार सपा के साथ बसपा नहीं है, कांग्रेस जिसका साथ है, उसकी संगठन जमीन पर कहीं भी मजबूत नहीं है। इसके मुकाबले एनडीए का जातीय समीकरण बेहद मजबूत है। पूर्वांचल में भाजपा के साथ राजभर, चौहान, निषाद और गैर यादव ओबीसी समाज दिखाई देता है। ओम प्रकाश राजभर, अपना दल सोनेलाल और निषाद तथा जनवादी पार्टी समर्थन में एकजुट है।
नरेंद्र मोदी, अनुप्रिया पटेल व महेंद्र नाथ पांडेय की लोकप्रियता की होगी परख
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी चुनाव लड़ रहे हैं। प्रधानमंत्री के मामले में वाराणसी से पहले यह गौरव लखनऊ व फूलपुर को मिला। प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू फूलपुर से लगातार तीन बार चुनाव लड़े और जीते। अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ से लगातार पांच बार चुनाव लड़कर जीते। भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की सूची में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम घोषित किया था। अब सारे देश की निगाहें इस संसदीय सीट पर लगी हैं। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से तीसरी बार चुनाव लड़ रही हैं। अपना दल सोनेलाल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को सहयोगी दल भाजपा से एक सीट राबर्टसगंज सीट भी मिली है। उन्हें खुद अपनी सीट तीसरी बार जीतने के लिए इम्तहान देना है तो दूसरी सीट भी जीताने की जिम्मेदारी भी है। उन्हें तमाम तरह की भीतरी व बाहरी चुनौतियों से भी जूझना पड़ रहा है। केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भी अपनी जीत के सिलसिले को बनाए रखने की जद्दोजहद में लगे हैं। उन पर अपनी जीत की हैट्रिक बनाए रखने की चुनौती है।
प्रियंका, ओम प्रकाश राजभर व राजा भैया के रणनीतिक कौशल का इम्तहान
प्रियंका गांधी व ओम प्रकाश राजभर व रघुराज प्रताप सिंह समेत कई नेता चुनाव मैदान से बाहर हैं लेकिन अपनों को जिताने में उनके रणनीतिक कौशल का इम्तहान भी सातवें चरण में है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इस बार पूर्वांचल की तमाम सीटों पर सघन प्रचार अभियान चला रही हैं। गठबंधन के साथी सपा के साथ उन्होंने वाराणसी में अपने प्रत्याशी अजय राय के समर्थन में रोड शो कर विपक्षी गठबंधन की मौजूदगी जताने की कोशिश की है। रायबरेली व अमेठी के अलावा वह यूपी के बाकी हिस्सो में भी रैलियां व रोड शो उन्होंने किए हैं। अब उनका पूरा फोकस आखिरी चरण की सीटों पर है। वहीं योगी सरकार में मंत्री ओम प्रकाश राजभर के लिए घोसी सीट का चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बना है। अपने बेटे अरविंद राजभर को जिताने के लिए उन्होंने एड़ी चोटी जोर लगा रखा है। रघुराज प्रताप सिंह ने अपने इलाके से बाहर अब मिर्जापुर में भी अपनी सियासी धमक सुनाने की तैयारी की है। अनुप्रिया पटेल से सियासी विवाद के बीच उन्होंने मिर्जापुर में सपा कांग्रेस गठबंधन को समर्थन दे दिया है।
मुख्तार अंसारी मुद्दे का कितना असर
मुख्तार अंसारी के निधन के बाद उससे उपजी सहानुभूति का लाभ घोसी, गाजीपुर व बलिया तक पड़ सकता है। इसी असर की उम्मीद में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी उत्साहित हैं। गाजीपुर में मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी खुद ही प्रत्याशी हैं तो राजीव राय घोसी में सपा से चुनाव लड़ रहे हैं। बलिया से सपा के सनातन पांडेय को भी इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। बलिया की दो विधानसभा सीटें जहूराबाद व मोहम्मदाबाद में मुख्तार परिवार का असर माना जाता है।