अलर्टः दिल्ली समेत 29 शहरों में बड़े भूकंप का खतरा, IIT कानपुर की स्टडी में जताई गई आशंका

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 31 May, 2020 12:06 PM

major earthquake threat in 29 cities including delhi iit kanpur study

दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। यहां पांचवी बार भूकंप ने दस्तक दी। इस बार रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.6 आंकी गई है। भूकंप का केंद्र हरियाणा के रोहतक में था। इन हालातों को देखते हुए आईआईटी कानपुर के अध्ययन में...

कानपुरः दिल्ली-एनसीआर में शुक्रवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। यहां पांचवी बार भूकंप ने दस्तक दी। इस बार रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 4.6 आंकी गई है। भूकंप का केंद्र हरियाणा के रोहतक में था। इन हालातों को देखते हुए आईआईटी कानपुर के अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि दिल्ली से बिहार के बीच बड़ा भूकंप आ सकता है। इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 से 8.5 के बीच होने की आशंका है। 

आईआईटी कानपुर ने दी है बड़े भूकंप की चेतावनी
इस बारे विस्तार से जानकारी देते हुए सिविल इंजिनियरिंग विभाग के प्रफेसर जावेद एन मलिक ने कहा कि अध्ययन में कहा है कि भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.5 से 8.5 के बीच हो सकती है। सिविल इंजिनियरिंग विभाग के प्रफेसर जावेद एन मलिक ने लंबी रिसर्च के बाद इसका दावा किया है।

1885 से 2015 के बीच देश में सात बड़े भूकंप दर्ज
इस दावे का आधार यह है कि पिछले 500 साल में गंगा के मैदानी क्षेत्र में कोई बड़ा जलजला रिकॉर्ड नहीं किया गया है। रामनगर में चल रही खुदाई में 1505 और 1803 में भूकंप के अवशेष मिले हैं। उन्होंने बताया कि 1885 से 2015 के बीच देश में सात बड़े भूकंप दर्ज किए गए हैं। इनमें तीन भूकंपों की तीव्रता 7.5 से 8.5 के बीच थी। 2001 में भुज में आए भूकंप ने करीब 300 किमी दूर अहमदाबाद में भी बड़े पैमाने पर तबाई मचाई थी। 

डिजिटल ऐक्टिव फॉल्ट मैप ऐटलस तैयार
प्रफेसर जावेद ने बताया कि शहरी नियोजकों, बिल्डरों और आम लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार के आदेश पर डिजिटल ऐक्टिव फॉल्ट मैप ऐटलस तैयार किया गया है। इसमें सक्रिय फॉल्टलाइन की पहचान के अलावा पुराने भूकंपों का रिकॉर्ड भी तैयार हुआ है। ऐटलस से लोगों को पता चलेगा कि वे भूकंप की फॉल्ट लाइन के कितना करीब हैं और नए निर्माण में सावधानियां बरती जाए।

इस ऐटलस को तैयार करने के दौरान टीम ने उत्तराखंड के रामनगर में जमीन में गहरे गड्ढे खोदकर सतहों का अध्ययन शुरू किया था। जिम कॉर्बेट नैशनल पार्क से 5-6 किमी की रेंज में हुए इस अध्ययन में 1505 और 1803 में आए भूकंप के प्रमाण मिले। रामनगर जिस फॉल्ट लाइन पर बसा है, उसे कालाडुंगी फॉल्टलाइन नाम दिया गया है। प्रफेसर जावेद के अनुसार, 1803 का भूकंप छोटा था, लेकिन मुगलकाल के दौरान 1505 में आए भूकंप के बारे में कुछ तय नहीं हो सका है। जमीन की परतों की मदद से इसे निकटतम सीमा तक साबित करना बाकी है।

इन शहरों में आया भूकंप तो होगी बड़ी तबाही
प्रफेसर मलिक कहते हैं कि मध्य हिमालयी क्षेत्र में भूकंप आया तो दिल्ली-एनसीआर, आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी और पटना तक का इलाका प्रभावित हो सकता है। किसी भी बड़े भूकंप का 300-400 किमी की परिधि में असर दिखना आम बात है। इसकी दूसरी बड़ी वजह है कि भूकंप की कम तीव्रता की तरंगें दूर तक असर कर बिल्डिंगों में कंपन पैदा कर देती हैं। गंगा के मैदानी क्षेत्रों की मुलायम मिट्टी इस कंपन के चलते धसक जाती है।
 

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