बाढ़ की स्थिति से निपटने को जालौन प्रशासन है पूरी तरह तैयार, विभिन्न स्थानों पर 27 चौकियां की स्थापित

Edited By Pooja Gill,Updated: 18 Jul, 2024 03:56 PM

jalaun administration is fully prepared to deal

जालौन: उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में बाढ़ प्रबंधन कार्य योजना वर्ष 2024 को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है। जिलाधिकारी राजेश पांडे गुरुवार को बताया कि नदियों में जलस्तर बढ़ने पर प्रभावित गांवों के लोगों को मदद मुहैया कराने के लिए बाढ़ प्रबंधन...

जालौन: उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन में बाढ़ प्रबंधन कार्य योजना वर्ष 2024 को लेकर सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है। जिलाधिकारी राजेश पांडे गुरुवार को बताया कि नदियों में जलस्तर बढ़ने पर प्रभावित गांवों के लोगों को मदद मुहैया कराने के लिए बाढ़ प्रबंधन कार्य योजना वर्ष 2024 के लिए तैयारियां पूरी कर लीं गयीं है। इसके लिए जिला स्तर पर बाढ़ अनुश्रवण हेतु स्टीयरिंग ग्रुप का गठन किया गया। जिले में बाढ़ से प्रभावित गांवों पर नजर डाली जाए तो पांचों तहसीलों के 158 गांव है। इसके लिए पहले से ही विभिन्न स्थानों पर 27 बाढ़ चैकियों की स्थापना की गयी हैं। साथ ही जिला बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना कर चौबीस घंटे कर्मियों की तैनाती की गयी हैं यह कक्ष अपर जिलाधिकारी की देखरेख में संचालित होगा। इतना ही नहीं बेतवा नहर प्रखंड प्रथम उरई कार्यालय में भी बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना की गयी है। वहां पर भी कर्मचारियों की ड्यूटी लगायी गयी है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए की खाद्यान्न पेयजल सामग्री की व्यवस्था
जनपद में बाढ़ की स्थिति के बारे में अपर जिलाधिकारी संजय कुमार ने बताया कि बाढ़ से पूर्व तैयारियों को पूरा किया जा चुका है, जिसमें नाव, मोटर बोट, गोताखोरों की व्यवस्था के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्न, पेयजल, तथा अन्य आवश्यक सामग्री की व्यवस्था, पानी निकासी हेतु पंपों की व्यवस्था, पशुओं की बीमारी रोकथाम तथा चारे, भूसे की व्यवस्था की जा चुकी है। बाढ़ के दौरान पुलिस सुरक्षा व्यवस्था की भी कार्ययोजना बनायी गयी है। उन्होंने यह भी बताया कि केंद्रीय जल आयोग द्वारा अवधारित बाढ़ का जलस्तर वर्ष 1996 में रिकार्ड हुआ जो यमुना नदी कालपी में खतरे के निशान 108 मीटर को पार करते हुए 112.980 पर पहुंच गया था। इसी प्रकार से वर्ष 1983 में बेतवा नदी मोहाना में खतरे का जलस्तर 122.664 मीटर को पार कर 133.350 मीटर पर जा पहुंचा था। यदि बाढ़ एवं जलभराव से प्रभावित होने वाले गांवों की नजर डाली जाये तो जालौन तहसील क्षेत्र के 21 गांव, उरई तहसील क्षेत्र के 31, कालपी तहसील क्षेत्र के 35, कोंच तहसील क्षेत्र के 33 व माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के 38 गांव शामिल हैं। ऐसे बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 27 बाढ़ चौकियां स्थापित की गयी हैं।

बाढ़ अनुश्रवण के स्टीयरिंग ग्रुप का गठन
यदि बाढ़ के दौरान नदियों से प्रभावित गांवों की बात की जाये तो कालपी तहसील क्षेत्र के महेबा विकासखंड में यमुना नदी से 16 व नून नदी से 4 गांव, कदौरा विकासखंड में बेतवा नदी से 13 व यमुना नदी से 2 गांव शामिल हैं। बाढ़ की स्थिति के दौरान तहसीलबार प्रभावित गांवों में कालपी तहसील क्षेत्र के 35 गांव, जालौन तहसील क्षेत्र के 19, उरई तहसील क्षेत्र के 32, कोंच तहसील क्षेत्र के 33 व माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के 158 गांव शामिल हैं। बाढ़ प्रबंधक कार्य योजना के अनुसार यमुना एवं बेतवा नदी का जल स्तर सी.डब्ल्यू.सी. से प्राप्त कर एवं वर्षा संबंधी आंकड़े सिंचाई विभाग द्वारा प्रतिदिन जिला प्रशासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिये गये हैं। वहीं जल स्तर खतरे के निशान के नजदीक आने पर बाढ़ चैकियों की स्थापना, कर्मचारियों की तैनाती, रूट चार्ट आदि जिला प्रशासन किया जायेगा। बाढ़ अनुश्रवण के लिए जिस स्टीयरिंग ग्रुप का गठन किया गया है। उसके अध्यक्ष जिलाधिकारी हैं इसके अलावा ग्रुप के सदस्यों में पुलिस अधीक्षक, जिला बाढ़ राहत अधिकारी, जिला कृषि अधिकारी, जिला पूर्ति अधिकारी, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग, प्रांतीय खंड, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड, अधिशासी अभियंता जल संस्थान, जल निगम शामिल हैं। विशेष आमंत्रण सदस्यों में प्रभागीय वन अधिकारी, मुख्य चिकित्साधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी हैं जबकि सदस्य/सचिव के रूप में अधिशासी अभियंता सिंचाई एवं समन्वयक अधिकारी बाढ़ को शामिल किया गया है।      
 

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