24 का चक्रव्यूहः घोसी में सुभासपा के लिए चुनौती बने बसपा के बालकृष्ण चौहान, सपा ने राजीव राय तो सुभासपा ने अरविंद राजभर को उतारा

Edited By Ajay kumar,Updated: 26 Apr, 2024 06:02 PM

bsp s balkrishna chauhan poses a challenge to subhasp in ghosi

घोसी लोकसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है। भाजपा ने इस को अपनी सहयोगी सुहेलदेब भारतीय समाज पार्टी को दे दिया है। सुभासपा प्रमुख एवं कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस सीट पर अपने बेटे अरविंद राजभर को उतार दिया है।

लखनऊः घोसी लोकसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प हो गया है। भाजपा ने इस को अपनी सहयोगी सुहेलदेब भारतीय समाज पार्टी को दे दिया है। सुभासपा प्रमुख एवं कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने इस सीट पर अपने बेटे अरविंद राजभर को उतार दिया है। जबकि उनके सामने सपा से राजीव राय तो बसपा से पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान मैदान में हैं। बालकृष्ण चौहान के मैदान में आने से यहां लड़ाई रोचक हो गई है। इस चुनाव में कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश राजभर की साख भी दांव पर है क्योंकि उनके बेटे जो चुनावी समर में हैं।

2019 में बसपा प्रत्याशी अतुल राय को मिली जीत
मोदी लहर में भाजपा ने पहली बार 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी। तब पार्टी उम्मीदवार हरिनारायण राजभर यहां से जीते थे लेकिन 2019 के चुनाव में पार्टी की अंतरकलह और मतदाताओं में सांसद को लेकर नाराजगी का खामियाजा यहां भाजपा को भुगतना पड़ा था। तमाम कोशिश के बाद भी भाजपा यह सीट जीत नहीं पायी थी। तब सपा-बसपा गठबंधन हुआ था। बसपा से प्रत्याशी अतुल राय को जीत मिली थी। हालांकि दुष्कर्म के आरोप में वे जेल गए और पूरा कार्यकाल उनका जेल में ही बीत गया। 

अरविंद राजभर को करनी पड़ रही मशक्कत 
इस लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हैं। चार विधानसभा मऊ के और एक विधानसभा बलिया जिले की है। बसपा ने यहां से बालकृष्ण चौहान को मैदान में उतारा है। बालकृष्ण बसपा के टिकट पर ही यहां से सांसद बने थे। हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी छोड़ दी थी। अब वे पुनः बसपा में आए और उन्हें टिकट मिला। इंडिया गठबंधन की सहयोगी सपा ने राजीव राय को प्रत्याशी बनाया है। राजीव राय इस सीट को जीतने के लिए मजबूत चक्रव्यूह बना रहे हैं। उन्होंने सुभासपा को सीट देने से नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में मोड़ने की लगातार कोशिश की है। तो बसपा भी दलित,पिछड़े और मुसलमान मतदाताओं पर फोकस कर रही है।

मुख्तार की छाया से मुक्त पहला चुनाव
घोसी सीट पर बाहुबली मुख्तार अंसारी का हमेशा से दखल रहा है। जेल में बीमारी की वजह से मुख्तार की मौत के बाद यह पहला चुनाव हो रहा है। इसमें मुख्तार की दखलंदाजी नहीं होगी। अन्यथा मुख्तार जिस पार्टी के समर्थन में होते थे मुस्लिम मतदाताओं  का रुख
उसी की तरफ होता। 

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