Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 01 Aug, 2020 10:11 AM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईद उल अजहा (बकरीद) पर कुर्बानी के दिन उत्तर प्रदेेश में लॉककडाउन में छूट देने की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि शनिवार को लाकडाउन में छूट की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसे लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते...
प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईद उल अजहा (बकरीद) पर कुर्बानी के दिन उत्तर प्रदेेश में लॉककडाउन में छूट देने की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि शनिवार को लाकडाउन में छूट की इजाजत नहीं दी जा सकती। इसे लेकर दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायालय का कहना था कि कोविड 19 की वजह से लगाए गए प्रतिबंध न तो मनमाने हैं और न ही अकारण हैं। इनको स्वास्थ्य के मद्देनजर लगाया है।
संविधान में दिया गया धार्मिक स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं है और राज्य को अधिकार है कि वह इस पर उचित प्रतिबंध लगा सकता है। पीस पार्टी के सदस्य और सर्जन डॉ0 मोहम्मद अयूब की जनहित याचिका पर न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की पीठ ने सुनवाई की।
याची का कहना था कि एक अगस्त को बकरीद है और कुर्बानी बकरीद का अहम हिस्सा है, लेकिन कोविड 19 के कारण राज्य सरकार ने गाइड लाइन जारी कर हर शनिवार और रविवार को लॉक डाउन का निर्णय लिया है। एक अगस्त को शनिवार है। इसलिए शनिवार को लागू गाइड लाइन में ढील दी जाय । याची का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 25 में धार्मिक कार्य को मानने और उसके प्रचार प्रसार की आजादी का अधिकार मौलिक अधिकार है। राज्य सरकार की गाइड लाइन से याची को संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 में मिले मौलिक अधिकार का हनन होता है। मौलिक अधिकारों का विशेष दर्जा है।
न्यायालय का कहना था कि मौलिक अधिकार निर्बाध नहीं हैं। यह लोक क्षेम, जनस्वास्थ्य और संविधान के तीसरे भाग में दिए गए अन्य प्रावधानों के अधीन है। लॉक डाउन का आदेश जनस्वास्थ्य के मद्देनजर दिया गया है और ऐसी कोई वजह नहीं है कि गाइड लाइन को शिथिल किया जाए। न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी है।