Edited By Ramkesh,Updated: 01 Dec, 2024 01:05 PM
उत्तर प्रदेश के बदायूं की एक अदालत में जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने और निचली अदालत में सुनवाई को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का रिएक्शन आया है। उन्होंने ट्वीट कहा कि उत्तर...
बदायूं: उत्तर प्रदेश के बदायूं की एक अदालत में जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने और निचली अदालत में सुनवाई को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का रिएक्शन आया है। उन्होंने ट्वीट कहा कि उत्तर प्रदेश के बदायूं में जामा मस्जिद को भी निशाना बनाया गया है । अदालत में 2022 में केस किया गया था और उसकी अगली सुनवाई 3 दिसंबर को होगी। ASI (जो भारत सरकार के तहत काम करती है) और उ.प्र सरकार भी केस में पार्टी हैं । दोनों सरकारों को 1991 एक्ट के अनुसार अपनी बात रखनी होगी।शर पसंद हिंदुत्ववादी तंज़ीमें किसी भी हद्द तक जा सकते हैं, उन पर रोक लगाना भारत के अमन और इत्तिहाद के लिए बहुत ज़रूरी है। आने वाली नस्लों को “AI” की पढ़ाई के बजाए “ASI” की खुदाई में व्यस्त कर दिया जा रहा है।
जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने दावा
दरअसल, बदायूं की एक अदालत में जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने के वाद की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) पर शनिवार को सुनवाई हुई और अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि तीन दिसंबर तय की। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार की अदालत ने इस मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद अगली सुनवाई की तिथि तीन दिसंबर निर्धारित की।
शम्सी शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी का दावा करीब 850 साल पुरानी है मस्जिद
यह मामला 2022 में तब शुरू हुआ जब अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश संयोजक मुकेश पटेल ने दावा किया कि जामा मस्जिद की जगह पहले नीलकंठ महादेव मंदिर था। उन्होंने यहां पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए याचिका दायर की थी। सरकारी पक्ष और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर मुकदमे में सरकार की ओर से बहस पूरी हो चुकी है और पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट भी अदालत में पेश की जा चुकी है। शम्सी शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी के अधिवक्ता असरार अहमद ने दावा किया कि मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और वहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है।
अखिल भारत हिंदू महासभा पूजा-अर्चना की मांगी अनुमति
हिंदू महासभा को इस मामले में याचिका दायर करने का अधिकार ही नहीं है। साक्ष्यों के साथ अदालत में पेश हुए वादी पक्ष के अधिवक्ता विवेक रेंडर ने कहा कि उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की अनुमति के लिए अदालत में ठोस साक्ष्य के साथ याचिका प्रस्तुत की है। यह याचिका सुनवाई के योग्य है अथवा नहीं इस बात को लेकर आज मस्जिद कमेटी की बहस हुई है। शम्सी शाही मस्जिद को बदायूं शहर की सबसे ऊंची इमारत माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह मस्जिद देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद है, जिसमें 23,500 लोगों के एकसाथ नमाज अदा करने की क्षमता है। शम्सी शाही मस्जिद की मस्जिद समिति और वक्फ बोर्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिवादी, वकील अनवर आलम और असरार अहमद ने शनिवार को बहस पूरी की।
वहीं, याचिकाकर्ता के वकील विवेक रेंडर ने कहा कि उन्होंने अदालत में "ठोस सबूत" पेश किए हैं। रेंडर ने कहा कि वे मामले के चलने योग्य न होने के बारे में मुस्लिम पक्ष की दलीलों का भी जवाब देंगे। रेंडर ने कहा, ''उनकी दलीलें खत्म होने के बाद हम भी इसका जवाब देंगे।'' उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि उन्हें अदालतों से न्याय मिलेगा। उल्लेखनीय है कि बदायूं में इस मामले में सुनवाई ऐसे समय में हो रही है जब गत 24 नवंबर को संभल में मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हिंसा भड़क गई जिसमें प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गयी थी और 25 अन्य घायल हो गये थे।