लेटरल एंट्री से नियुक्ति का फैसला रद्द; अखिलेश ने दी प्रतिक्रिया, कहा- 'नियुक्तियों की साजिश PDA की एकता के आगे झुक गई'

Edited By Pooja Gill,Updated: 20 Aug, 2024 03:33 PM

decision on appointment through lateral entry

Lateral Entry: केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी (UPSC) चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है...

Lateral Entry: केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी (UPSC) चेयरमैन को पत्र लिखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

यह बोले अखिलेश यादव 
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि ''यूपीएससी में लेटरल एन्ट्री के पिछले दरवाजे से आरक्षण को नकारते हुए नियुक्तियों की साजिश आखिरकार पीडीए की एकता के आगे झुक गयी है। सरकार को अब अपना ये फ़ैसला भी वापस लेना पड़ा है। भाजपा के षड्यंत्र अब कामयाब नहीं हो पा रहे हैं, ये PDA में आए जागरण और चेतना की बहुत बड़ी जीत है।''

 


इससे आगे अखिलेश ने कहा कि ''इन परिस्थितियों में समाजवादी पार्टी ‘लेटरल भर्ती’ के ख़िलाफ़ 2 अक्टूबर से शुरू होने वाले आंदोलन के आह्वान को स्थगित करती है, साथ ही ये संकल्प लेती है कि भविष्य में भी ऐसी किसी चाल को कामयाब नहीं होने देगी व पुरजोर तरीके से इसका निर्णायक विरोध करेगी। जिस तरह से जनता ने हमारे 2 अक्टूबर के आंदोलन के लिए जुड़ना शुरू कर दिया था, ये उस एकजुटता की भी जीत है। लेटरल एंट्री ने भाजपा का आरक्षण विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है।'' 

जानिए सरकार के इस फैसले की वजह
दरअसल, यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 जॉइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली थी। सरकार के इस फैसले पर जमकर सियासी बवाल मचा। कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार आरक्षण पर चोट कर रही है। इतना ही नहीं एनडीए के घटक दलों ने भी फैसले की आलोचना की। जिसके चलते सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना पड़ा। केंद्रीय कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने यूपीएससी चेयरमैन को लिखे पत्र में बताया कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांन के तहत लिया है। पत्र में कहा गया है कि ज्यादातर लेटरल एंट्री 2014 से पहले की थी। 2014 से पहले होने वाले लेटरल एंट्री में आरक्षण के बारे में कभी सोचा नहीं गया। नेशनल एडवाइजरी काउंसिल पीएमओ को कंट्रोल करती थी।   

 

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