Edited By Ajay kumar,Updated: 09 Dec, 2022 10:21 PM
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां की 46 साल की सियासत भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने और विधायकी जाने के 42 दिन बाद उपचुनाव का परिणाम भाजपा के पक्ष में आते ही एक झटके में खत्म हो गई। वे अपने सिपहसालार आसिम राजा की सीट बचा ले जाते तो...
रामपुर: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां की 46 साल की सियासत भड़काऊ भाषण मामले में तीन साल की सजा होने और विधायकी जाने के 42 दिन बाद उपचुनाव का परिणाम भाजपा के पक्ष में आते ही एक झटके में खत्म हो गई। वे अपने सिपहसालार आसिम राजा की सीट बचा ले जाते तो वर्चस्व कायम रह सकता था। एक तरफ वे अब 95 मुकदमों की पैरवी में उलझे रहेंगे, वहीं सपा संगठन से भी वह अलग-थलग पड़े हुए हैं। उनकी ताकत उनके इलाके के लोग थे, लेकिन इस बार उनके इमोशनल कार्ड पर भी मुसलमान मतदाता नहीं पसीजे और उन्होंने ही भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना के हाथ में उनकी 33 साल पुरानी शहर विधानसभा सीट सौंप दी।
भड़काऊ भाषण मामले में एमपी-एएमएलए कोर्ट ने 27 अक्टूबर को पूर्व मंत्री आजम खां को तीन साल की कैद और छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इसके बाद 28 अक्टूबर को विधानसभा अध्यक्ष ने आजम खां की विधायकी रद्द कर दी। इसके बाद उनका मताधिकार भी छिन गया और केंद्रीय चुनाव आयोग ने उप चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया। हालांकि, चुनाव आयोग द्वारा उप चुनाव कराए जाने के लिए की गई जल्दबाजी के विरोध में आजम खां कोर्ट में चले गए थे लेकिन, उप चुनाव की तारीखें टाली नहीं गई और मतदान पांच दिसंबर को हो गया।
लोकसभा के बाद विधानसभा की सीट भी गई-
पूर्व मंत्री आजम खां ने वर्ष 2019 में विधानसभा सीट से त्यागपत्र देकर लोकसभा चुनाव लड़ा था और भाजपा प्रत्याशी फिल्म अभिनेत्री एवं पूर्व सांसद जयाप्रदा को करारी शिकस्त दी थी। वर्ष 2019 में हुए उप चुनाव में अपनी पत्नी डा. तंजीन फात्मा को शहर सीट से उप चुनाव लड़ाया और उन्होंने भाजपा प्रत्याशी भारत भूषण को करीब सात हजार वोटों से शिकस्त दी। वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में आजम खां ने सीतापुर जेल से चुनाव लड़ा और भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना को करीब 55 हजार मतों से शिकस्त दी। जून 2022 में हुए लोकसभा उप चुनाव में आजम खां ने अपने करीबी सपा के शहराध्यक्ष आसिम राजा को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन, वह सीट नहीं बचा पाए।